सामाजिक अस्पृश्यता के उद्धारक
1863 में जब भारत मे स्वामी विवेकानंद का
प्रादुर्भाव हुआ,उस समय समस्त भारत अनेक
सामाजिक विसंगतियों में फंसा हुआ था समाज
अनेक कुरीतिखाठयों का शिकार था। धर्म परिवर्तन का बोल बाला था।समाज अनेक वर्गों में
विभाजित था। पहली लड़ाई तो सर्वणों और
दलित वर्ग के बीच थी, सर्वण दलित वर्ग से नफरत करता था। दलित सवर्णों के कुछ से पानी तक नहीं ले सकते थे वो...
प्रादुर्भाव हुआ,उस समय समस्त भारत अनेक
सामाजिक विसंगतियों में फंसा हुआ था समाज
अनेक कुरीतिखाठयों का शिकार था। धर्म परिवर्तन का बोल बाला था।समाज अनेक वर्गों में
विभाजित था। पहली लड़ाई तो सर्वणों और
दलित वर्ग के बीच थी, सर्वण दलित वर्ग से नफरत करता था। दलित सवर्णों के कुछ से पानी तक नहीं ले सकते थे वो...