...

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मैं और झूठ.. .. ..ना
उसने मुझसे पूछा तुम में कितना प्रतिशत सच है।
मैं कहा 1 प्रतिशत
और बाकी .... झूठ।।।

लोग बड़े ही अजीब है यहां,, भागे जा रहे है,,, ढोए जा रहे है,,, प्रेम को...
उस प्रेम को जो है ही नहीं, उसके होने का ढकोसला और रोने के नाटक ने जीवन को वीभत्स दुखांतिका बना दिया है।
कई किताबों में लिखा है, कई जगह कोट किया गया कि प्रेम में सचाई जरूरी हो, प्रेम सच से शुरू हो और प्रेम में सच बोला जाए
मैं कहता हूं प्रेम में सब झूठ हो
इतना झूठ कि उसकी अंतिम सीमा भी लांघी जा सके।
सच्चे लोग बहुत दुखी है,, इतने दुखी कि प्रेमी के जाने के बाद उसके पीछे रो रो कर बुरा हाल कर लेते हैं।
इतना बुरा जैसे मर जाए
क्यों....
क्योंकि वहां सच था,, वो उस प्रेम को क्षीण होते नहीं देख पाते, सच्चे प्रेमी को भुलाना आसान नही..
अगर प्रेम में सब झूठ रहे, एक मृग मरीचिका रहे ।
झूठ से रिश्ते की शुरुआत हो, उम्र भर जितना प्रेम चले तो झूठ की बुनियाद पर चले और जब प्रेम टूटे तब सच्चाई के साथ टूट जाए.. यहां एक प्रतिशत सच की जरूरत पड़ेगी..
प्रेम के पाने में झूठ हो पर प्रेम खोने में हमेशा सच जरूरी होता है।
झूठ से चलते आ रहा प्रेम एक दिन टूटेगा ही, टूटेगा तो सच वाला भी वो कौनसा अमृत कलश अपने माथे पर लेकर चलता है।
झूठ से प्रेम टूटा और प्रेमी झूठा साबित हो गया तो उसके जाने का दुख ही नहीं होगा, उसे फिर पाने की लालसा ही न रहेगी, उसके लिए कोई प्रेम नहीं बचेगा,
तुम मुक्त हो जाओगे सारे बंधनों से सारी जिम्मेदारियों से..
#निशेष_प्रेम ❣️
© नि शेष प्रेम