...

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और तुम रुके नहीं
मैं मंदिरों में गई...प्रार्थनाएं किए...
ईश्वर से तुम्हारे लिए...ना जाने कितनी मनुहारे की!? मैं जो कर सकती थी। वो सब किया तुम्हारे लिए...लेकिन तुम रुके नहीं...
फिर, सबने कहा कुछ टोटके और उपाय
रह गए होंगे इसलिए तुम मुझसे दूर हुए...
फिर मुझे लगा ईश्वर से भी बड़ा कुछ होता है...