और, मौसम बदल गया ........
आज मौसम कुछ ज्यादा ही खराब लग रहा था। काले काले बादल जैसे फट ही पड़ेंगे। बारिश की झड़ी लगी है सुबह से ही। रिया डर जाती थी ऐसे मौसम में। दिल बादलों के साथ ही घुमड़़ने लगता है उसका। एक जमाना था जब ये मौसम उसे बहुत पसंद था पर अब....... सोच ही रही थी वो कि तभी फोन बजा।
" हेलो! "
"हेलो! कैसी हो?"
"ठीक ही हूं।"
"ठीक ही हूं का क्या मतलब है? क्या हुआ, बात ही करना बंद कर दिया है आजकल तुमने कहां हो, कैसी हो??"
( एक साथ बहुत सारे सवाल .......)
"बात नहीं कर सकती।"
"क्यों?"
"ऐसे ही......."
"ऐसे ही या मन नहीं है?"
"हां,मन नहीं है......"
"अच्छा...... कुछ हुआ है क्या...... ?" ( आवाज़ में एक मायूसी छा गई, शब्द जैसे डूब रहे हों शून्य में, धीरे धीरे )
"कुछ होने का इंतजार करना जरूरी है क्या और अब तक जो हुआ क्या वो काफ़ी नहीं है..... "( आवाज़ में थोड़ी सख्ती लाने की कोशिश...
" हेलो! "
"हेलो! कैसी हो?"
"ठीक ही हूं।"
"ठीक ही हूं का क्या मतलब है? क्या हुआ, बात ही करना बंद कर दिया है आजकल तुमने कहां हो, कैसी हो??"
( एक साथ बहुत सारे सवाल .......)
"बात नहीं कर सकती।"
"क्यों?"
"ऐसे ही......."
"ऐसे ही या मन नहीं है?"
"हां,मन नहीं है......"
"अच्छा...... कुछ हुआ है क्या...... ?" ( आवाज़ में एक मायूसी छा गई, शब्द जैसे डूब रहे हों शून्य में, धीरे धीरे )
"कुछ होने का इंतजार करना जरूरी है क्या और अब तक जो हुआ क्या वो काफ़ी नहीं है..... "( आवाज़ में थोड़ी सख्ती लाने की कोशिश...