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#चिट्ठी पार्ट 3
#चिट्ठी
ठीक 10:00 बजे डोर बेल बजी गेट ओपन किया फिर एक चिट्ठी मिली अब आगे----
तुरंत चिट्ठी को उठाकर निकिता ने खोला उसमें लिखा था ठीक शाम 4:00 बजे मुझे सिग्नेचर ब्रिज पर मिलना तुम्हारा प्रिय मित्र

इतना पढ़ते ही निकिता अजनबी से मिलने की तैयारी में व्यस्त हो गई तैयार होते होते सोच रही थी कि कौन होगा जिसे में जानती हूं
और मन ही मन मुस्कुराए जा रही थी
फिर कुछ वक्त बाद निकिता घड़ी की तरफ देखती है कि 4:00 बजने वाले होते हैं वह तैयार होकर तुरंत घर से निकल जाती है
कुछ समय बाद निकिता सिगनेचर ब्रिज पर पहुंच जाती है और वहां पर लोगों की भीड़ में वह उस चेहरे को ढूंढ ही रही होती है कि उसकी नजर दो आंखों पर जाकर टिक जाती है जो उसे बड़ी देर से निहार रही थी और वह वहीं रुक जाती है उसी वक्त याद आता है कि यह तो वही है जो उसे कंपटीशन में मिला था तब भी उसे यही अजनबी निहार रहा था इतने में सुप्रिया का कॉल आता है और वह बताती है कि सॉरी निकिता झूठ बोलने के लिए की वह चिट्ठी तुम्हें आदित्य ने लिखी है क्योंकि उसने मुझे मना किया था अपना नाम लेने को और तुम कंपटीशन में पार्टिसिपेट नहीं कर रही थी इसलिए उसने ही मुझे कहा था कि आदित्य का नाम बोलूंगी तो तुम इस कॉन्पिटीशन में पार्टिसिपेट करोगी क्योंकि तुम आदित्य कि बात हमेशा मांग लेती थी निकिता कहती है क्या यह वही अजनबी है जो मुझे कॉन्पिटीशन के दौरान निहार रहा था मुझे लगता है कि मैं उसे जानती हूं पर मुझे उसका नाम याद नहीं आ रहा तो सुप्रिया बताती है कि वह और कोई नहीं अनिरुद्ध है नाम सुनते ही निकिता को सब याद आ जाता है और उसकी आंखों से आंसू निकल जाते हैं वह सुप्रिया को फोन काटने की बोलती हैं फिर उसे याद आता है कि यह तो वही अनिरुद्ध है जो उसके घर के सामने ही रहता है जिसके साथ में स्कूल टाइम में ट्यूशन पढ़ने जाया करती थी और वह हमेशा रिक्शे के पैसे बचा कर उसको आइसक्रीम खिलाया करता था पर कुछ समय बाद वह अपनी बाकी की पढ़ाई पूरी करने के लिए विदेश चला गया था पर यह सोचती है क्या अनिरुद्ध को मैं अभी भी याद हूं वह अनिरुद्ध के पास धीरे-धीरे कदम बढ़ाते हुए जाती है और अनिरुद्ध को कुछ कहने वाली होती है कि इससे पहले अनिरुद्ध उसे गले लगा लेता है और कहता है पागल लड़की तू मुझे कैसे भूल सकती है और हां तुझे मेरी आइसक्रीम के पैसे भी चुकाने हैं निकिता यह सब सुनकर के जोर जोर से हंसने लगती है
और फिर रोने लगती है कहती है अनिरुद्ध इतना वक्त लगा आने में अनिरुद्ध सॉरी बोलता है और कहता है कि मैं बस मेरी इकलौती फ्रेंड के सारे ख्वाब पूरे करना चाहता था तो उसके ख्वाबों को पूरा करने में वक्त लग गया पर हां प्रॉमिस अब मैं तुम्हें छोड़कर कहीं नहीं जाऊंगा कहीं तु फिर न भूल जाए मुझे
अनिरुद्ध कहता है एक प्रॉमिस कभी ना छोड़कर जाने के लिए एक सॉरी इतना वक्त लगाने के लिए अनिरुद्ध निकिता को फिर एक चिट्ठी देता है निकिता कहती है फिर एक चिट्ठी निकिता उसे पड़ती है उसमें लिखा था कि क्या जिंदगी के सफर में मैं तुम्हारा हाथ थाम सकता हूं निकिता कहती है हां
by-Nandini