विष या अमृत
जीवन में होनी अनहोनी किसी के बस में नहीं, कोई किसी का भाग्य नहीं बदल सकता मग़र, परिस्थिति को समझ कर साथ अवश्य दिया जा सकता है, किसी भी परिस्थिति को किस्मत या समय के भरोसे यह कह कर नहीं छोड़ना चाहिए कि एक दिन सब ठीक हो जायेगा! अक्सर बेटियों के साथ ऐसा ही हो रहा है और हुुआ है, आगे न हो, उसके लिए हम कुछ छोटे छोटे प्रयास उनके जीवन को सफल और सुखी बनाने के लिए कर सकते हैं ! हमें अपने बच्चों को भी सुनना चाहिए कि वो क्या कहना चाहते हैं और क्यों, अक्सर हम उन्हें सुनना आवश्यक नहीं समझते, उनकी पूरी ज़िंदगी का सवाल होता है, उन्हें भी अधिकार है! कभी कभी तो लगता है जैसे शादी ब्याह एक जुआ है, सही लगा तो जीवन सफल और ग़लत लगा तो ज़िंदगी ख़राब! ज़िंदगी सभी को जीने के लिए एक बार ही मिलती है वो भी अगर नरक से बदतर हो तो कोई कैसे जीये और कैसे मरे? जिस पर बीतती है वही जानता है, पूरा जीवन ख़राब होने का मतलब क्या होता है!ज़िम्मेदारियाँ और समाज न जीने देते हैं और न ही मरने की अनुमति देते हैं, बेहद दर्दनाक और भयावह होता है, सोचकर ही कलेज़ा मुँह को आ जाता है! हमें अपने बच्चों को बेहतर शिक्षा देनी चाहिए और उन्हें स्वावलंबी बनाना चाहिए, जिससे कि वो हर परिस्थिति का अपनी सूझ बूझ से डट कर सामना कर सकें! और समय के हाथों स्वयं को सौंपकर किसी भी अनहोनी का शिकार न बनें! ...