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एक अजनबी लड़की

वह छोटी सी लड़की थी। मां बाप की लाडली थी। अपने भाईयों से बहुत डरती थी। लेकिन उनकी प्यारी सी बहन थी।नाम था उसका माना।
धीरे धीरे वह बड़ी होती गई। चेहरा भोला भाला। लोग उसे बहुत प्यार करते थे।
अपने भाईयों के साथ पतंग उड़ाती। पेड़ पर चढ़ना , कब्बड्डी खेलना , कंचे खेलना और दौड़ने में आगे थी।
अचानक मां बीमार हो जाने के कारण उसका स्कूल जाना बंद हो गया।दो साल बीत गए।उसका मन उदास होने लगा।एक दिन अपने दादा से बोली मुझे पढ़ना है। दादा मदद किए और वह प्राइमेट से दसवीं पास कर ली।

उसके पापा उसे ले जाकर होस्टल में डाल दिए ताकि अच्छी तरह पढ़ाई हो सके।बारह क्लास पढ़ने के बाद उसकी शादी हो गई।
शुरूआत में सबकुछ अच्छा था। बाद में मारपीट होने लगा।तबतक माता पिता गुजर गए थे।उसने अपने पति को बहुत समझाया लेकिन वह जिद्दी आदमी था। वह पति को छोड़ कर चली गई। कुछ बच्चों को पढ़ाकर एक बूढ़ी औरत के घर रहने लगी।
वह बूढ़ी मां उसे बहुत प्यार करती थी।
बूढ़ी मां ने उसे कालेज में भर्ती कर दी।बस और क्या कहना था वह कालेज की पढ़ाई के बाद उसी बूढ़ी मां का एक छोटा सा बिसनेस था उसमें लग गई।आज उसके बिसनेस करोड़ो का है।
उधर उसके पति को पछतावा हुआ। बूढ़ी मां ने कहा बेटा माफी मांगने वालों को माफ़ कर देना चाहिए।
उसने मां कहना सुना।अपने पति के राजी खुशी है पर अपनी आज़ादी और बूढ़ी मां को नहीं छोड़ी।