...

5 views

रंग, धर्म और जाति
जब जन्म लिया तब किसी ने नहीं पूछा आपसे के किस घर, वर्ग या जाति मे आपको पैदा होना है। हा शायद आपके पिछले कर्म ये तय करते हो। मैंने इंन्सानियत से बड़ा धर्म किसी को नहीं माना।
मुझे हर फॉर्म मे धर्म, जाति का प्रमाण क्यों देना पड़ता है? ये मेरी निजी जानकारी मुझे हर बार क्यों लिखनी पड़ती है जो मेरे लिए मायने ही नहीं रखती।
अगर भारत मे रह कर भी आपको ये बार बार लिखना पड़े के मेरी नागरिकता भारतीय है तो वो किस काम का।
मैं गेहुए रंग की हु। मैं बिंदी नहीं लगाती ना चूड़ी पहनती हु। ना शादी का लाइसेंस समझने वाला मंगलसूत्र।
जब कॉलेज मे थी तो कुछ लोग मुझे मुस्लिम समझते थे। जॉब मे कुछ साउथ इंडियन समझते थे क्यों की मेरी अंग्रेज़ी अच्छी थी।
क्यों कभी कोई मुझे मेरे बुद्धिमत्ता के लिए नहीं जानता। क्यों कोई मेरा आंकलन मेरे गुणों से नहीं करता। मुझे तो वैसे भी किसी का सर्टिफिकेट नहीं चाहिए के मैं क्या हु पर इन बदलाव की जरूरत बहुत है समाज मे।
आनेवाली पीढी की सोच थोड़ी ज्यादा विकसित हो ताकि इंन्सानियत कायम रहे। लोग रंग धर्म और जाति से परे उठ के सोचे।
© All Rights Reserved