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स्त्रियाँ ऐसे महबूब की कल्पना नहीं करतीं जो चाँद को उसका कंगन कर दे और तारों से उसकी माँग सज़ा दे
स्त्रियाँ ऐसे महबूब की कल्पना नहीं करती
जो चाँद को उसका कंगन कर दे
तारों से उसकी माँग सजा दे.

अब चाहती हैं वो
एक ऐसा प्रेमी
जो तबियत खराब में
उसकी हथेली थामें
देर तक उनसे बातें करता रहे,

बजाय किसी महँगे रेस्तराँ ले जाने के
वो वीकेंड पर अपनी हाथों से
जली हुई ही सही रोटियाँ बनाएँ,

पहाड़ तो माँझी पहले ही तोड़ चुके हैं
अब बस घर के कामों में
वो हाथ बटाएँ
खाने के बाद अपनी प्लेट ख़ुद धो लें
टेबल पर बची हुई सब्ज़ी फ़्रीज़ में रख आयें,

यार एक कॉफ़ी पीला दो
टी॰वी॰ देखते हुए
हुक्म फ़रमाने के बदले
दोनों के लिए कभी प्यार से वही बना लाएँ,

पोस्ट कैसी लगी मुझे जरूर बताना
आपका दोस्त राज अग्रवाल।।

वो भी थकती होगी
उसका भी हाथ-पाँव दुखता होगा
कभी यूँ ही
उसके पैरों को गोद में रख
उँगलियों को सहला दें.

प्रेम में इतना ही चाहतीं हैं
स्त्रियाँ अपने महबूब से.
© mayank varma