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वीरान
मैं जब 12 वी क्लास की पढ़ाई कर रहा था
उन दिनों में हमारे स्कूल में मैं और मेरे दोस्त बहुत बदमाशी किया करते थे

स्मार्ट फ़ोन का चलन था लेकिन सब के पास नही होता था और andriod virson hand set बहुत महँगी हुआ करती थी ।

facebook बस चला पाते थे कभी 2 network issue हुआ करता था

मतलब की फ़ोन उन दिनों अभिन्न हिस्सा नहीं था
कुछ वर्षो के बाद चलन में आया ।

मैं और मेरे दोस्त स्कूल से घर जाने के बाद नाश्ता करके शाम को एक खंडहर जगह पे जाते थे जो हमारे छोटे से शहर से 5 KM आउटर पे था

वो जगह वीरान तो थी लेकिन लेकिन वहाँ बरगद का पेड़ और इमली का पेड़ था जो काफी पुराना था ।
हम सभी दोस्त अक्सर वहां जाते थे
और वहीं अपना वक़्त बिताते थे

उस जगह को भूतिया भी कहा जाता था बड़े बुजुर्ग जो उस जगह से परिचित थे वो हमें अक्सर मना करते थे शाम के वक़्त उस जगह जाने को

लेकिन हम में से कुछ इत्तेफ़ाक रखते भी थे और कुछ नहीं भी रखते थे

कुछ महीनों के बाद हमारा 12th का इम्तिहान हुआ और गर्मी की छुट्टी हो गयी

अब हममें से कुछ दोस्त रिश्तेदार के यहाँ शादी में गये तो कुछ परिवार के साथ tour पे
अब मैं और दीपक ,और दो दोस्त और योगेश ,और पोखर रोज शाम के वक़्त गर्मी में वही वीरान जगह पे हमेशा की तरह जाते थे

एक दिन बात करते 2 काफी अंधेरा हो गया और जोरो की हवाएं चलने लगी तूफान जैसा कुछ हम सभी उस वीरान जगह पे टूटे खंडहर के अंदर चले गए तूफान के रुकने तक ,,जैसे ही तूफान रुकी हम घर वापस...