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किट्टू
संडे था,गौरव और प्रगति हर हफ्ते की तरह किट्टू की अलमारी को सेट कर रहे थे..!!!
एक एक कर सारे कपड़े बड़े ही करीने से सजा सजा कर तह लगा रहे थे...की तभी एक लाल फ्रॉक पर प्रगति की नज़र ठिठक गई,गौरव भी एक दम से प्रगति की ओर देखने लग गया ।

"क्या हुआ प्रगति..कहाँ खो गई?"

कुछ नहीं... याद है जब मॉल में इस फ्रॉक के लिए पैसे कम पड़ गए थे, तो तुमने अपने लिए खरीदे एक टी शर्ट  वापस मोड़ दिया था,कितनी खुश हूई थी हमारी किट्टू...अपनी लाल फ्रॉक को पाकर ।

लेकिन जब दूसरे दिन उसे ये बात पता चली की  तुमने वो टीशर्ट वापस कर दी थी.....तो खुद से ही नाराज़ हो गई थी और पूरे दिन कुछ न खाया था।

हां... प्रगति,किट्टू की हर बात याद है मुझे !

फिर उसी के बगल में रखी ब्लेक कलर की जीन्स की पेंट और सफेद शर्ट को हाथ मे लेते हुए गौरव बोला- "और इसे भुल गई क्या?"
इसके लिए कैसे फैल गई थी वहीं दुकान में ही..और बहुत जिद करने के बाद एक साइज़ बड़ी ड्रेस ख़रीदवाई थी अपने लिए...कितना वेट करना पड़ा था न उस दिन ?

इस तरह प्रगति और गौरव अपने पुराने दिनों को याद किये जा रहे थे ।

तभी प्रगति बोली...कितने सुंदर सुंदर ड्रेसेस हैं किट्टू के और हर ड्रेस की अपनी अलग अलग कहानी है ।

"किसी को दे दें क्या?"

यहां तो अलमारी में ही रखे रह जाएंगे

गौरव गहरी सांसे लेते हुए बोला- "हां हां दे ही देना चाहिए!", पर देंगे किसको?"

प्रगति कपड़ो को तह लगाती हुई बोली -"हम लोगों ने भी तो अपने भाई बहनों के कपड़े पहने हैं, क्यों न सुंदर भइया की बेटी खुशी को दे देते हैं,वो भी तो 7-8 साल की हो गई है,उस मे बिल्कुल फिट बैठेंगे, बिल्कुल परी दिखेगी इन कपड़ों...