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कुछ बातें करनी है खुद से कुछ खुद को समझाना है
कुछ बातें करनी है खुद से
कुछ खुद को समझाना है
क्यों किसी से शिकायत करनी
पता है बुरा ये ज़माना है

कहते है कोई अकेला नहीं होता दुनिया में
फिर क्यू मैं यू भटकता सा एक आवारा हूं
कहीं रुकती है नज़रे कोई लगता है अच्छा
फिर याद आती है बातें पुरानी
यहां कोई नही है सच्चा..

लोग आएंगे पास तुम्हारे कुछ पल के लिए
कुछ आएंगे देने साथ और कुछ छल के लिए
जिंदगी जीना है तो लोगो को समझना होगा
प्यार के बदले कभी प्यार तो कभी नफरत मिलेगा
सब कुछ यहां सहना होगा...
अगर नहीं सहना तो निकल जाओ एक सफर पर
जहां खुद का ही दिन और खुद का ही शाम होगा
पर याद रखना
जब आएगी रात तो फिर अपना रुख मोड़ना होगा
अगर खुद को संभाल लिए तुम
तो सफर थोडा आसान होगा..

कुछ बातें करनी है खुद से
कुछ खुद को समझाना है
क्यों किसी से शिकायत करनी
पता है बुरा ये ज़माना है

हां है मुझे भी किसी की जरूरत
पर ये कहने से डरता हूं
इस मतलबी दुनिया में भी
किसी को खोने से डरता हूं....
दिल मेरा भी चाहता है कोई आए
और गले से मुझे लगाये
मेरे बेचैन दिल की धड़कन में
एक सुकून की आस जगाए...
हो जाए वो यू मेरी और मैं उसका
सुनने में लगता है जैसे ये खेल हो बचपन का...

पता है सब कुछ इस दिल को
फिर भी गुस्ताखी करता है
लाख समझाओ इसको
फिर भी किसी और के लिए धड़कता है...
मन मेरा दिल मेरा धड़कन मेरी
फिर भी क्यू ये किसी और के लिए तरसता है

कुछ बातें करनी है खुद से
कुछ खुद को समझाना है
क्यों किसी से शिकायत करनी
पता है बुरा ये ज़माना है

© Mγѕτєяιουѕ ᴡʀɪᴛᴇR✍️