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I hate popular Indian cinema!
जब आप फिल्मों से प्यार करते है और जिस देश मे सबसे ज्यादा फिल्मे बनती है उसी देश की फिल्म को एक भी ऑस्कर ना मिले। ऑस्कर! ऑस्कर वो चीज़ है जिसे नोबेल पुरस्कार और बुकर पुरस्कार के बाद सबसे important अवार्ड माना जाता है। जो खेल पुरस्कारों से हजारों गुना बड़ा है। लेकीन इंडिया को एक भी पुरस्कार नही मिला अबतक! क्या फायदा ऐसी फ़िल्म इंडस्ट्री का जो एक भी सम्मान प्राप्त करने के लायक ना हो? हर साल मेरी एक ही उम्मीद होती है सिर्फ एक ऑस्कर या एक palme d'or mil जाए लेकीन ऐसा नही होता! 🥺 मुझे नफरत है इंडियन सिनेमा से इसलिए नही की उन्हें एक भी अवार्ड नहीं मिला बल्कि इसलिए कि मै खुद इंडियन फ़िल्म मेकिंग को पसंद नही करता हु।😵 तो क्या खाक ऑस्कर वाले ऑस्कर और cannes वाले palme dor देंगे! 😒इंडियन फिल्मों में शून्य सिनेमाई यथार्थवाद है। गानों और डांस रूटीन को फिल्मों में शामिल किया जाता है जो अप्रासंगिक, विचलित करने वाला और हास्यास्पद लगता है। इसके लिए जो मूर्खतापूर्ण बहाने दिए जाते हैं, वो हैं "भारतीयों को नृत्य और गीतों के साथ उत्सव पसंद है" या "हमें बेशर्मी से हॉलीवुड की नकल करने की ज़रूरत नहीं है" जबकि हर बार हॉलीवुड से कहानियों, विषयों और यहां तक कि पृष्ठभूमि संगीत की निर्दयता से नकल करते हैं। 🤪पैसा कमाने के लिए यह सब उबाल है। भारत की ज्यादातर पॉपुलर फिल्मों मे एक्टर, एक्ट्रेस सुंदर होते है। 😍ऐसा लगता है परिवार के साथ देखने वाली फिल्म है जिसमें न्यूडिटी नही होती। 🐸और ज्यादातर इसी वजह से इंडियन लोग ऐसी फिल्मों को पसंद करते है क्योंकि उन्हें लगता है जिस फिल्म मे न्यूडिटी होती है वो पोर्न फिल्म होती है। 😢बात कोई भी हो लेकीन पॉपुलर इंडियन फिल्मे पैसा कमाने के लिए ही बनाई जाती है। उनमें कोई कला नही होती और इंसानियत कई कोने मे छुप जाती है। भारतीय फिल्मों का डायरेक्शन सबसे घटियां होता है। बनाने जाते है इंसानियत वाली फिल्मे लेकीन बन जाती है घटियां। पॉपुलर इंडियन फिल्मों मे सपोर्टिंग एक्टर्स बदसूरत होते है और मेन एक्टर/एक्ट्रेस ऐसे रोल का मजाक उड़ाते हुए दिखाई देते है। लेकीन ये पारिवारिक फ़िल्म है इसमें कोई nudity नही है। क्या फायदा ऐसी मूवी का जो कॉमेडी करने के चक्कर में इंसानियत भूल जाति है। ऐसी फिल्मों से सबसे ज्यादा हर्ट उन लोगो होता है जो बदसूरत होते है। क्या ये पारिवारिक फ़िल्म है? नहीं ये एक घटियां फिल्म है। जिसमें nudity के साथ इंसानियत भी नही है। विदेशी फिल्मों में न्यूडिटी होती है लेकिन वो artistically photograph की होती है जिससे सीन देखते समय कुछ भी फील नहीं होता। जैसे की 1993 की Schindler's List और 2021 की titane इन दोनो फिल्मों में ग्राफिक न्यूडिटी है लेकीन फिल्म देखते समय कुछ भी फील नहीं होता। और रही इंडियन फिल्मों की बात जिसमें न्युडिटी तो नही होती लेकीन एक ऐसा सीन होता है जिसमें कैमरा बोलता है! शायद आप लोगों ने कई बार देखा होगा कैमरे को ऐक्ट्रेस के शरीर से जानबुजकर शॉट किया ज्याता है जो धीरे धीरे सेक्स सिम्बोल बन जाता है। मैं जब छोटा था तब ऐसी फिल्में फैमिली के साथ देखता था और जब ऐसा सीन आता था तब यहां वहा मुंह फेर लेता था।🤭 ये थोड़ा फनी है लेकिन सच है। ऐसे सीन को मैं पॉर्न मानता हु। शायद यही पोर्न है। अधिकांश बॉलीवुड फिल्में केवल तीन सरल कैमरा ट्रिक्स जानती हैं तेज पैन और कट, जमीनी स्तर से शूट किया गया कैमरा, और निश्चित रूप से उबेर लोकप्रिय धीमी गति। बॉलीवुड की कुछ मुख्य धारा की फिल्में हैं जो अलग दिखने का प्रबंधन करती हैं। पिछले 10 साल में, मुझे लगता है कि दंगल और RRR को खूबसूरती से शूट किया गया था।😍

मूल रूप से अभिनेता ओवर एक्ट करते हैं। निर्देशक जुंटा के लिए फिल्में बनाते हैं जो एक गैर-बौद्धिक समूह हैं जो बौद्धिक रूप से उत्तेजक संवाद करने के बजाय एक लड़के और लड़की को गाते और नाचते हुए देखना पसंद करते हैं। 🤯और शायद इसी वजह से इंडियन सिनेमा को Oscar पाने के लिए सत्यजीत Ray जैसे प्रॉमिसिंग डॉयरेक्टर की जरूरत है। मेरा डायरेक्शन भी बदसूरती से लेकर nudity पर आ गया है। लेकिन सिर्फ़ ये दो बाते नही है इंडियन सिनेमा को ऑस्कर पाने के लिए बोहोत सारी बाते है जिससे इंडियन सिनेमा को ऑस्कर नही मिलता राइटिंग, डायरेक्शन, स्टोरी के साथ साथ ओरिजिनेलिटी भी जरुरी हैं। इस साल मेरी उम्मीद इंडिया की "last film show" movie से है जो ऑस्कर के लिए भेजी लेकिन 100% गारंटी है इस फिल्म को कोई ऑस्कर नहीं मिलेगा क्योंकि इसके सामने Lukas Dhont की Close है जिसे मैंने खुद इस फिल्म से ज्यादा पसंद किया है। 🤕
© lousystone