हसीन शाम की वो बारीश भी देखो कितनी प्यारी थी
घने बादलों में चमकी
वो बिज़ली अजब निराली थी
हसीन शाम की वो बारिश भी
देखो कितनी प्यारी थी
मैं था कुछ कोमल भाव का
वो भी प्यार मे पागल थी
हसीन...
वो बिज़ली अजब निराली थी
हसीन शाम की वो बारिश भी
देखो कितनी प्यारी थी
मैं था कुछ कोमल भाव का
वो भी प्यार मे पागल थी
हसीन...