...

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असमंजस
अलग कहानी

दीपा फिर से असमंजस मे थी
ध्यान मे बैठने पर फिर आवाज आयी

देश के नेता के लिए सवाल है ना की नेता सही होने के मायने क्या
जी
जो अपना नहीं जनता का सोचे

दीपा फिर विचारो के समन्दर मे गोते लगाने लगी

क्या कुर्सी ही सब कुछ है प्रभु लोगों का सोचना कुछ नहीं क्या सिर्फ अपना ही सोचना सत्ता का नाम है
ये आज नहीं राजा के समय से होता आया एक राजा होता दान करता, शिक्षा की व्यवस्था हो ये ध्यान रखता, दूसरा राजा जो जनता के लिए काम करने मे पीछे रहता उनपर जुल्म करता कंस इसका उदाहरण है

दीपा को जवाब मिल चुका था

अपने आप आंसू बह निकले


दीपा सोचने लगी मै अगर किसी को कहु तो शायद कोई यकीन नहीं करेगा की मुझे जवाब मिलते कभी खुशी मिलती कभी मन उदास हो जाता


दीपा ने कुछ देर सोचा और कहा क्या प्रार्थना करने से कुछ फर्क होगा

प्रार्थना पहले हृदय को सुकून पहुंचाती फिर जो भलाई प्रार्थना की हो वो पूरी होती

सवालों के जवाब मिलने पर मन हर्षाया


फिर दीपा का ध्यान पूरा हुआ उठकर चाय बनाई




समाप्त
28/3/2024
11:12 रात्रि
© ©मैं और मेरे अहसास