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प्रेम होने का अहसास
किसी को प्रेम करने का पैमाना क्या हो सकता है?

“तुम मुझे कितना प्यार करते हो?” के ज़वाब में “मैं तुम्हें बहुत प्यार करता हूँ!” तक सारा ताम-झाम रहता है। दरसल ये “कितना” और “बहुत” के बीच ही कहीं सबके अपने-अपने प्रेम छिपे होतें हैं।

प्रेम में आयाम नहीं होते, सीमाएँ नहीं होतीं, मंज़िलें नहीं होतीं, होता है तो बस सफ़र! ये सफ़र हिंदी और अंग्रेज़ी दोनों वाला होता है। आपका सफ़र ही दर्शाता है कि मंज़िल रास्ता है या सफ़र, अगर मैं सोचूँ कि “तुम मुझसे कितना प्यार करती हो? ”तो मुझे ज़वाब, बिन तुम्हारे कहे, तुम्हारी आँखों की गोलाइयों में दिख जाएगा। वो एक जोड़ी आँखे, जिसमें इंतज़ार से लेकर सपने तक, बस मैं ही मैं रहता हूँ बहुत ही चालाक हैं। और माँ कहती भी हैं कि "तुम इतने भुलक्कड़ और अल्हड़ हो कि तुमको कोई चालाक लड़की ही चाहिए होगी" ख़ैर! माँ के इस सपने में तुम एकदम सटीक बैठती हो । एक-एक पल का हिसाब तो नहीं पता, पर हाँ! जितना तुमसे दूर रहना होता है समय कटता नहीं, काटने को दौड़ता है। इतनी व्यस्त जीवन में जब साँस लेने भर का समय नहीं होता, तब कुछ तस्वीर और Chats से ही Blushing वाला मुँह बन जाता है।
तुम अच्छी लड़की हो। अच्छी लड़की की वो परिभाषा जो बचपन में थी, उसमें तुम Fit बैठती हो। जिसका सारा काम पूरा होता था और वो class के सबसे कमज़ोर लड़के का भी homework पूरा करा देती थी।
ठीक उसी तरह तुम अपना काम सलटा कर तुम मेरा काम भी लगा ही देती हो। तुम्हारे बेतरतीब सवाल सुन के ज़वाब देते समय मुझे हँसी आती है। मुझे पता होता है कि तुमको मेरे जवाब पे कोई ऐतबार नहीं होगा, लेकिन तुम फिर भी सुनोगी मेरे उल जुलूल ज़वाब और उसके बाद तुम्हारे Cross question तो जैसे कोई गणित का निर्देशांक ज्यामिति का कोई सवाल, जिसके ज़वाब बिना रटे देना कभी सम्भव ही नहीं रहा मेरे लिए। तुमको पता है!“आप बहुत अच्छी लगते हैं हमको” कह भर देना ही हाल-ए-दिल हो जाता है। जब i love you, फ़रेब लगे, तब बस तुमको कस के गले लगा लेना ही मेरा i love you too बन जाता है।

मैं प्रेम पर नहीं लिखता लोगों को ग़लत फ़हमी है। मैं तुम पर लिखता हूँ। तुमसे कोई सीधा से रिश्ता नहीं है मेरा! दोस्त, प्रेमिका, संगिनी, साथी सब अंश है तुम्हारे स्वभाव का। मेरे लिए तुम प्रेम हो। जिसकी असीमित सीमाओं को मैं तुम्हारी आँखो में देखता हूँ। जिसका ना तो क्षेत्रफल निकाल पाना संभव है और न ही आयतन निकाल पाना। जिसमें केवल डूब जाना ही सम्भव है। डूब के जीने के लिए पार पाने के लिए। मुझे प्रेम बार-बार हो जाता है। मरकरी वाले चश्मे के साथ Metro के दाएँ-बाएँ गेट के साथ, scooty की ढ़ीली break के साथ, पालिका की सुपर सेल के साथ, pizza की हर bite के साथ, भाङ्ग के गोले के साथ, बिना साफी के चीलम के साथ, magic moment के हर घूँट के साथ और तुम्हारे हरे वाले सूट के साथ दरसल! प्रेम की त्रिज्या का दायरा बड़ा-छोटा हो भी सकता है, पर केंद्र हमेशा तुम पर ही आकर अटकता है।

© @mishravishal