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Ishaq wali kahani Part-4
"अबे इतना काहे परेशान हो रहे हो " रवि ने सवाल किया , जिसका जवाब ऐसा लग रहा था की शिव के पास या तो था नहीं या वो देना नहीं चाहता था।
दरसल हुआ यूं था कि शालिनी जब शिव से मिलने आयी थी , तो उसने तमाम इधर उधर की बातें किये बिना , ये बताया था कि उसे "गणित" में कुछ दिक्कत है और वो शिव से "पाइथागोरस" समझना चाहती है। वैसे तो शिव के लिए ये ज्यादा मुश्किल काम नहीं था और रवि भी था जो उसे मदद कर सकता था। पर दिल धकाधक किये जा रहा था और दिमाग कुछ समझने में असफल था। खुद ज्यादा कन्फ्यूज़ न हो जाए इसलिए शेखू को इस बारे में कुछ बताया नहीं था।
"यार , उसके सामने भूल गया तो ?" पिछले इम्प्रैशन के ख़राब होने की वजह से शिव पर परफॉरमेंस का प्रेशर साफ दिखाई दे रहा था।
"हो जायेगा बे, कब आ रही है ? " रवि ने पूछा।
"कल सुबह" शिव बोले।
"चुपके चुपके देखी है ना , वसुधा को पढ़ाने के लिए बच्चन क्या क्या नहीं करते " रवि ने समझाया।

"तो"
"तो ठीक है ना , आज रात घोंट जाओ सब , कल जीवन का सबसे बड़ा वाइवा है तुम्हारा, मैं चलता हूँ , ज़रूरत हो तो बुला लेना "
कहकर रवि चला गया।
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अब कहानी की मुख्य ( अब तक की ) नायिका के बारे में जान लेते हैं।
आकाश वर्मा को हमेशा लगता था की वो आर्मी के लिए ही बने हैं। अकेले में खुद के नाम के आगे कैप्टेन लगाकर चौड़े होते रहते। दो बार आर्मी का एग्जाम दिया , कभी रिटेन तो कभी फिजिकल में बाहर हो गए। फिर घर की और समस्याओं को हल करने की जुगत में आगे की आगे की पढाई पूरी की । बच्चों को ट्यूशन तो पढ़ाना कॉलेज में ही शुरू कर दिया था , कालेज से निकलकर एक स्कूल में पढ़ाना शुरू...