...

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कैसे बताऊं मैं तुम्हें माँ तुम्हारी कमी बहुत खलती है
जब होता हूं उदास और ये काली रात ढलती है
तोड़ के हौसला मेरा जब ये वक्त की रेत फिसलती है
कैसे बताऊं मैं तुम्हें माँ तुम्हारी कमी बहुत खलती है

न पाकर तुम्हें नजरों के सामने जब मन की बेचैनी बढ़ती है
तुम्हारी यादों के सहारे ही तब दिल की हालत संभलती है
कैसे बताऊं मैं तुम्हें माँ तुम्हारी कमी बहुत खलती है

शोर में भी जब मेरी खामोशी मुझसे लड़ती है
आंसुओं से सौदा कर जब लब की हँसी बिकती है
कैसे बताऊं मैं तुम्हें माँ तुम्हारी कमी बहुत खलती है

बेपरवाह होके जब मेरी कलम तुम्हें लिखती है
मेरी हर एक शायरी जब तुम्हें खुद में बुनती है
कैसे बताऊं मैं तुम्हें माँ तुम्हारी कमी बहुत खलती है

एक तुम पर ही आकर दुनिया मेरी रूकती है
तुम्हारे ही हाथों की रोटी से मेरी भूख मिटती है
कैसे बताऊं मैं तुम्हें माँ तुम्हारी कमी बहुत खलती है

Kuch ehsaaso ko shabdo me byaan kar pana namumkin hota hai
aur maa ka pyar bhi unhi ehsaaso me se ek hai...
Jise bs ek maa aur baccha hi smajh sakta hai
Main kitna bhi likh lu iss topic par hamesa adhura hi Igta hai
aur aaj bhi bs ek koshsish kiya hu jisme abhi bhi kmi hi hai

© Mγѕτєяιουѕ ᴡʀɪᴛᴇR✍️
@Ashishsingh #Ashishsingh #mysteriouswriter