हम तुम्हें अपना मानते हैं
कभी कभी लोगों को हमारी तरफ से गलतफहमियाँ हो जाती हैं.. और हमें पता ही नहीं चलता... और जब पता चलता है तो हैरानी के साथ उस गलतफहमी को कैसे दूर किया जाये दिमाग को काफी मशक्कत करनी पड़ जाती है...
इस स्थिति को आ बैल मुझे मार कहूँ या कुछ और... आज ऐसी ही स्थिति से दो चार होकर अब फ्री हुई हूँ..
हुआ ये कि हमारी एक दूर की रिश्तेदार हैं. भाभी लगती हैं मेरी. जून में उनकी मदर की डेथ हो गयी थी. उस वक़्त मेरी उनसे बात नहीं हो सकी थी.
फ़िर बड़े मामा की डेथ हो गयी उसके बाद खुद को ही सम्भालने में मुश्किल हो रही थी. तब भी मैं उनको ताजियत का मैसेज नहीं कर सकी थी.
फिर कुछ दिन के बाद उन्होंने अपनी मदर के लिये कुरान ख्वानी करवायी जिसमें सबको वाट्सएप पर इनवाइट किया था.
मैंने वो मैसेज चेक किये...
इस स्थिति को आ बैल मुझे मार कहूँ या कुछ और... आज ऐसी ही स्थिति से दो चार होकर अब फ्री हुई हूँ..
हुआ ये कि हमारी एक दूर की रिश्तेदार हैं. भाभी लगती हैं मेरी. जून में उनकी मदर की डेथ हो गयी थी. उस वक़्त मेरी उनसे बात नहीं हो सकी थी.
फ़िर बड़े मामा की डेथ हो गयी उसके बाद खुद को ही सम्भालने में मुश्किल हो रही थी. तब भी मैं उनको ताजियत का मैसेज नहीं कर सकी थी.
फिर कुछ दिन के बाद उन्होंने अपनी मदर के लिये कुरान ख्वानी करवायी जिसमें सबको वाट्सएप पर इनवाइट किया था.
मैंने वो मैसेज चेक किये...