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मेरी बहना
मेरी बहना

क्या ही लिखूं उसके लिए
वो मुझ जैसी ही पहेली है
छोटी है मुझसे मगर
फिर भी एक सहेली है

परछाई बन कर भले न घूमे
चलती मेरे वो साथ है
हाथो में भले उसका हाथ नहीं
मुश्किलों में वो हमेशा साथ है

लड़ती झगड़ती इतराती भी खूब
लाड़ लड़ाए, गुस्सा जताएं वो
जानती भले हो मेरी कमियों को
फिर भी एक बड़े की तरह समझाएं वो

राज़ो को है राज़ रखती
तमाशा देखने की आदि नहीं
खाए पिए मौज उड़ाती
किसी के रहमों करम की बादी नहीं

जान छिड़के बेटी पर अपनी
नाराज़ हो तो थपड़ लगाए भी
नाजों से पाल रही बच्ची अपनी
अकेली दोनों का फर्ज निभाए भी

रूठे तो मनाना हो मुश्किल
दस बार बुलवाए वो
गलती हो तो माफी भी मांगें
बीस क़दम बढ़ाएं वो

गरिमा की गरिमा रहे बरक़रार
यही मेरी दिलसे दुआ है
पागल है मगर जान है हमारी
भगवान का हमपर कर्म हुआ है
© firkiwali