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यादों का कमरा ✍️😊
मेरे घर में एक कमरा उनकी यादों का है
उस कमरे में उन लम्हों को सजा रखा है
उन लम्हों में कई किस्सों को बसा रखा है
जाता हूं जब भी उस कमरे में
यादों की भीनी खुश्बू आती है
मन महक जाता है दिल बहक जाता है
जब खोलता हूं हर एक किस्से को
घर का एक एक सामान चहक जाता है
फिर लम्हों के तमाम पन्ने पलटते गया
पलटते पलटते फिर रखी कुर्सी पर बैठ गया
बैठते बैठते फिर यादों में कब सिमटते गया
सिमटते ही चेहरे पर एक प्यारी मुस्कान आई
मुस्कान के साथ उनकी मुस्कान की याद बेहिसाब आई
बेहिसाब यादों के साथ मेज़ पर रखी कलम उठाई
कलम उठाने के साथ ही ज़हन में उनका ख्याल आया
कलम चलती रही काग़ज़ पर और अल्फाजों का सैलाब आया

नज़रें महबूब की क्या पड़ीं नज़रों से घायल हम हो गए
न चला कोई भी ज़ोर मेरा पहलुओं के कायल हम हो गए
रहते हैं खोए खोए से खुद पर भी इख्तियार अब ना रहा
लगा ऐसा मर्ज़-ए-इश्क़, उनकी चाहतों से शायर हम हो गए

© विकास - Eternal Soul✍️