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इंस्टा के बाहर का फेमिनिज्म
सीड ऑफिस चले गए और बच्चे स्कूल। समर, साशी और काव्या देखते ही देखते कितने बड़े हो गए ना। बाई बर्तन और कपड़े करके जा चुकी थी। दोपहर का वक्त था और हर बार की तरह मै और शंभू घर पर अकेले ( बोहोत भेाैकता है)। शंभू अपने खिलौने के साथ खेल रहा था और मै ऑनलाइन काउंसिलिंग का सेशन था मेरा तो लेपटॉप को हाथ में लिए बैठी थी।

४५ मिनट का सेशन ख़तम हो गया। पानी पीने किचन में गई तो मोबाईल में कोई फेमिनिस्ट की पोस्ट आई इंस्टा पे।

पोस्ट खोल के देखी और मानो बीते दिनों में घुल गई। सोचमे पड़ गई कैसे ५ साल पहले मेरे अंदर भी एक फेमिनिस्ट था। कैसे बना? इंस्टा और फेसबुक की पोस्ट्स पढ़ पढ़ के😂

अरे हसिए मत, उस समय नहीं समजमे आता था कि इंस्टाग्राम के बाहर भी कोई दुनिया होती है, जहा लोग रहते है,ज़िंदगी गुजारते है। तब तो दिल ये भी नहीं मानता था कि इंस्टाग्राम पे पोस्ट करने के अलावा भी फोटोज के कुछ काम होते हैं।

ये बात है तब की जब मै २१ साल की हो गई थी। लवलाइफ के नाम पे एक ३ साल पुराना रिलेशनशिप था जो असल में था दोस्ती का रिश्ता। जैसे जैसे उम्र आगे बढ़ती गई दोस्ती और प्यार का फर्क भी समजने लगा। पर एक फेमिनिस्ट के तौर पे तब लगता था कि दुनिया के सारे मेन बस काम कराने के लिए एक नौकरानी चाहिए होती है इसलिए शादी करते है।

ठान ली थी उस समय मुझे ना करनी ऐसी शादी। क्यू बनूं मै किसिकी नौकरानी।आज जो मै हूं वो कभी बनूंगी सोचा भी नहीं था उस समय।

फिर पोस्टग्रेजुएट हो गई साइकोलॉजी में। घर पे शादी की बाते चलने लगी, पर मेरा सपना तो अलग था। अभी तो डायटेटिक्स में एमएससी करना बाकी था। मुझे तो थेरेपिस्ट बनना था ना, जिसमें मै डायट थेरेपी और साइको थेरेपी मर्ज कर पाऊ टू प्रोमोट ओवरऑल वेल बीइंग।
पर घरवाले कहा मानते।

२३ वे साल में मेरी शादी हो गई। किससे? सीड से। वो क्या करते थे? डॉक्टर थे मेडिकल कॉलेज में। ससुराल वाले कैसे थे? सासुमा प्रोफेसर थी और ससुरजी इंजिनियर। सुनके तो बड़ा धक्का लगा,क्या अतरंगी कॉम्बिनेशन था प्रोफेशन का।

हो गई शादी। सीड को ना जाना ना पहचाना। बस थोड़े गुस्सीले है इतना पता था। मैंने सासुमा से कहा मुझे डायटेटिक्स में पोस्टग्रेजुएशन करना है। उन्होंने सीड की और ससुरजी की परमिशन दिलवा दी।सीड ने खुद मेरी एंट्रेंस की प्रेपरेशन करवाई। शादी तीन साल के अंदर ही मै जानीमानी थेरेपिस्ट बन गई।

वक्त के साथ सासुमा और ससुरजी रिटायर हो गए। अब ससुरजी सोशल वर्क करते है और बच्चो को कई किस्से सुनाते है। सासुमा गरीब बच्चो को पढ़ाती है और नारी शिक्षा अभियान भी चला ती है।

सीड भी सीनियर डॉक्टर बन गए है। शादी को १५ साल हो गए। जब भी कभी खाना बना,हम सबने मिलकर बनाया, मुझसे अच्छा खाना तो सीड बनाते है। समर भी उन्हिपर गया है। घर के काम में बर्तन और कपड़े बाई करती है और जब वो ना आए तो हम सातो जन मिलके बाट लेते है। सब अपने कमरे साफ करते है। अपने काम खुद करते है,जब किसी से ना हो पाए तो दूसरा उसे मदत करता है।

सासुमा कहती है, जब हम सब एक दूसरे को इंसान की तरह देखने लगते है तब भेदभाव और लढाई के लिए जगह ही नहीं बचती।

जिस दिन ये बात सुनी मेरे अंदर का फेमिनिस्ट समझा ही नहीं कहा चला गया। या मानो इन १५ सालो में कभी उसकी जरूरत ही नहीं पड़ने दि किसीने।

१५ साल पहले सोचा ही नहीं था कि ऐसी भी कभी ज़िंदगी होती होगी जो इंस्टा के बाहर का फेमिनिज्म जीती होगी।
© drowning angel