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भरोसा
सब कहते हैं किसी पर भी भरोसा नहीं करना चाहिए । जहां देखो वहीं लोग एक-दूसरे से दूरियां बनाये हुए हैं यहां तक कि अपने रिश्तेदारों ,सगे-संबंधियों , सच्चे मित्रों पर भी भरोसा करने से लोग डरते हैं । साथ रहते हैं, घुल-मिल कर रहते हैं मगर अपनी निजी बातों को बताने से कतराते हैं ।
आख़िर क्यों? क्या दुनिया में ऐसा कोई भी नहीं जिनपर हम आंख बंद कर के विश्वास कर सके ? अपनी हर समस्याओं को सुलझा सकें किसी के साथ , अपने दिल का बोझ हल्का कर सके ... क्या ऐसा कोई भी नहीं ?
बहुतों का जवाब होगा 'हां' और बहुतों का जवाब होगा' ना' ।
मेरा मानना है कि ऐसे लोग हैं दुनिया में जो हमको समझ सके , जिनके साथ हम अपनी अच्छी बुरी हर बात कर सकें, मगर बहुत कम लोग ऐसे हैं ।💯% में 2%लोग ऐसे होते हैं जिनके साथ हम अपनी बातें दिल खोलकर साझा कर सके , जो हमारी बातों का मजाक ना बनाए , हमारी बातों को गौर से सुने,समझे और जरूरत पड़ने पर हमें अच्छे -बुरे की पहचान कराएं ।
हमें ज्यादा positive भी नहीं होना चाहिए क्योंकि ज्यादा positive होने पर लोग हमें बेवकूफ समझने लगते हैं । अक्सर ऐसा होता है कि हम जैसे होते हैं सामने वाले को भी हम वैसे ही समझने लगते हैं और लोग हमारी positive होने का फायदा उठाते हैं ।

हम तो बस इतना ही कहना चाहेंगे कि बहुत ही कम लोग भरोसेमंद और positive होते हैं । और एक बात बिना जाने, बिना सोचे-सvमझे किसी को भी ग़लत ना समझे , किसी के स्वाभिमान को ठेस ना‌ पहुंचाएं ।🙏🙏


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