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व्यवहार
सुवर्णा का पति उसे बिल्कुल भी पसंद नहीं करता था।
जब देखो तब अपने परिवार और अपने दोस्तों के सामने सुवर्णा के श्यामले रंग को लेकर उसका मजाक उड़ाते रहता था। उसे वह अपने साथ कहीं भी बाहर नहीं ले जाता था। ना ही कहीं घूमने के लिए और ना ही ऑफिस या दोस्तों की किसी पार्टी में ही!पर सुवर्णा उसके किसी भी बात का बुरा नहीं मानती थी। क्योंकि वह जानती थी उसका पति जुबान का थोड़ा करवा है पर दिल का बिल्कुल भी बुरा नहीं है। बाकी आकाश (सुवर्णा का पति)
के परिवार वाले और दोस्त सुवर्णा को काफी पसंद करते थे और उसके व्यवहार से बहुत प्रसन्न रहते थे। और कहते नहीं थकते थे कि आज के समय में कहां मिलते है ऐसे सरल स्वभाव की लड़कियां। पता नहीं आकाश को क्यों नहीं दिखती है सुवर्णा की अच्छाइयां क्यों वह हर समय नाराज रहता है अपनी पत्नी से क्यों हर समय उसे डांटे रहता है हमें तो कितना समझाया की रंगो के भेदभाव को मन से निकाल दे।रंग को लेकर अपना मन मैला ना करें ।
अरे सुवर्णा तो वो हीरा है जो चिराग लेकर भी ढूंढने से ना मिले । वह तो किस्मत अच्छी थी हमारे आकाश की जो सुवर्णा जैसी जीवन संगिनी उसे मिली। कितना व्यावहारिक है कितनी पढ़ी लिखी और कितनी मिलनसार भी। इतने बड़े घर की बेटी होने के बाद भी उसमें जरा सा भी घमंड या अहम नहीं है। अगर वह चाहे तो अपने आगे पीछे 10 नौकर चाकर रख सकती है। मगर नहीं उसे तो अपने सारे काम अपने हाथों से करने में ही आनंद आता है। न जाने मेरे इस पत्थर हृदय बेटे को हीरे की परख कब होगी। कहीं ऐसा ना हो कि जब तक उसे इस बात की समझ आए ।तब तक कहीं सुवर्णा के सब्र का बांध टूट जाए। और आकाश को ताउम्र अपनी गलतियों के लिए पछताना पड़े। सुवर्णा की सास और ससुर आपस में बातें कर रहे थे। इतने में आकाश के ऑफिस से फोन आया आकाश की तबीयत अचानक खराब हो गई है। और उसे अस्पताल में एडमिट कर लिया गया है। यह खबर जैसे ही सुवर्णा तक पहुंची सुवर्णा नंगे पैर ही भागते भागते अस्पताल पहुंच गई । उसकी सांस में सांस तो तब आई जब डॉक्टर ने बताया कि घबराने की कोई बात नहीं है आकाश ठीक है और उसे अब घर ले जा सकते हैं।
जब सुवर्णा आकाश से मिलने गई तो आकाश ने उसका हाथ पकड़ कर अपने पास बिठा लिया और कहने लगा सुवर्णा मैं तुम्हारा गुनहगार हूं मैंने तुम्हें बहुत दुख दिया है मैंने तुम्हें कभी वह खुशी नहीं दी जिसकी तुम हकदार हो मुझे माफ कर दो। आज जब मौत को इतने करीब से देखा तो मैं भगवान से दुआ मांगने लगा भगवान मुझे थोड़ी सी जिंदगी और दे दो मैं अपनी गलतियों को सुधारना चाहता हूं मैं अपनी सुवर्णा अपनी पत्नी के साथ न्याय करना चाहता हूं उसे उसका हक उसका अधिकार देना चाहता हूं। और देखो भगवान में मेरी सुन ली और मुझे अपनी गलतियां सुधारने का एक मौका मिल गया कितना गलत था मैं सुवर्णा तुम मुझ से कितना स्नेह कितनी मोहब्बत करती हो और मैंने तुम्हें बदले में क्या दिया सिर्फ नफ़रत और तिरस्कार किया।
और वो भी इसलिए क्यों कि तुम्हारा रंग श्यामला है..!
छी घिन आती है मुझे स्वयं पर ... पर अब मैं तुम से वादा करता हूं अब मैं तुम्हें कभी शिकायत का मौका नहीं दूंगा जो समय बीत गया उसे तो मैं वापस नहीं ला सकता पर
मैं तुम्हें इतना प्यार दूंगा इतना प्यार दूंगा कि तुम मेरे दिए हुए सारे जख्म भूल जाओगी। आकाश की बातें सुनकर सुवर्णा की आंखों से अश्क बहने लगे। आकाश ने अपने हाथों से सुवर्णा के आंसु पूछते हुए उसे अपने बाहों में भर लिया और कहा मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूं स्वर्णा मुझ से दूर तुम कभी मत जाना । अब मैं कभी भी रंगों को लेकर किसी का भी मजाक नहीं उड़ाऊंगा।
अब मुझे समझ आ गया है। व्यवहार रंग रूप से कहीं ऊपर है। व्यवहार ही इंसान का असली गहना है।
और फिर दोनों पति-पत्नी अपनी पुरानी सारी बातों को भुलाकर जीवन में आगे बढ़ें और सुख पूर्वक जीवन व्यतीत करने ले!!
किरण