...

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मास्टरमाइंड (भाग 12) ( Ending)
कुछ देर बाद , सीक्रेट स्थान पर....

राकेश: तो तुम सब कुछ जानती हो....
काव्या: क्या जानती हूं??
राकेश: Plan A के अनुसार राष्ट्रपति के आते ही अटैक हो जाना चाहिए था पर ऐसा हुआ नहीं...., प्लान A के फेल होने पर प्लान B को निस्पादित (execute) हो जाना चाहिए था पर उसका भी अभी तक कोई अपडेट नहीं आया.... और..... अब तक डीलर का फोन आ जाना चाहिए था डिलीवरी पूरा होने का पर उसका भी कोई अपडेट नहीं आया....

काव्या इंस्पेक्टर राकेश की बात सुन मुस्कुराने लगती है.....

काव्या: तो तुम मान रहे हो की तुम ही मास्टरमाइंड हो... मास्टरमाइंड गैंग के बॉस?? और पुलिस की वैन पर हमला.. खुद की किडनैपिंग.. सब तुम्हारा प्लान था...
राकेश: कैसे?? तुम्हें कैसे पता चला...??
काव्या: मेरी मां की वजह से।
राकेश: लेकिन मेरे आदमियों ने जो बताया उससे मुझे पता चला की तुम्हारी मां ने कोई भी खास जानकारी नहीं दी थी मेरे बारे में....
काव्या: हां... पर उनकी रखी फोटो ने तो दी न...
राकेश: फोटो???

काव्या राकेश को बताती है की उसने जब स्वाती की फोटोफ्रेम में स्वाती के संग राकेश की फोटो देखी तो वह समझ गई कि वही मास्टरमाइंड है।

काव्या: प्लानिंग तो बहुत बढ़िया थी तुम्हारी... मेरे पिता के हमसकल से राष्ट्रपति का खून करवाना और सारा इल्जाम मेरे पिता के सिर पर डाल देना.., राष्ट्रपति पर हमला होते ही सारी पुलिस खूनी को ढूंढने में जुट जायेगी और उसी बीच किडनैप किए गए लड़को और लड़कियों को उनके खरीदार को डिलीवर कर देना....
राकेश: ये सब तुम्हें कैसे पता?

काव्या: ये सब मुझे इसलिए पता क्योंकि तुम्हारे प्लान में गलतियां बहुत थी...
पहली गलती- रिया का खून करना, अगर रिया का खून नहीं हुआ होता तो मैं इस केस में शामिल ही नही होती।
दूसरी गलती- मेरे पिता के हमसकल को इस काम के लिए चुनना.... मुझे पता है उस आदमी के बिना पुलिस को गुमराह करना, राष्ट्रपति का खून करने की प्लानिंग करना असंभव था मगर... कम से कम उसे अच्छे से ट्रेनिंग तो दे देते..?? उसे यही नहीं पता कि वह जिसकी जगह जा रहा है उसे किस चीज से एलर्जी है... उसके घरवालों को किस चीज से एलर्जी है...
और तो और उसके पास इतना भी दिमाग नहीं है कि अगर कमरे में एक कैमरा मिला है तो और भी हो सकता है.....
तीसरी गलती- सारे गुमशुदा केस को अपने भेजे गए नकली आदमी से हैंडल करवाना.....

और सबसे बड़ी गलती.... एक हैकर को किडनैप करवाना, या फिर कह लो कि तुम्हारी बदकिस्मती... उस हैकर को किडनैप करवाना.....

राकेश: तुम्हारा मतलब ये हैकर.....
काव्या: पुलिस थाने में रिपोर्ट लिखवाने आई लड़की से पता चला की उसका भाई और भतीजा अचानक से गायब हो गए और उसका भाई एक हैकर था। मेरा असिस्टेंट राज.. वो भी एक हैकर है.... उसने किसी तरह तुम्हारे कीडनैप किए गए हैकर यानी उस लड़की के भाई के साथ संपर्क स्थापित कर लिया.... और फिर....
उस आदमी ने हमें तुम्हारे हर प्लान की जानकारी दे दी.... हां वह इस स्थान का लोकेशन बताने में असमर्थ रहा पर......

राकेश: पर...., पर क्या??

तभी राकेश के गुंडे आते हैं और बताते हैं की उस जगह को पुलिस ने चारो तरफ से घेर लिया है इसलिए उनका वहां से निकलना असंभव है....

राकेश: क्या....? लेकिन पुलिस को इस जगह के बारे में कैसे पता चला??

तभी काव्या अपने कपड़ों में से एक ट्रांसमीटर निकालती है और कहती है....

काव्या: इसकी वजह से.....
राकेश: ये..... ये.... , ये डिवाइस डिटेक्ट क्यों नहीं हुआ अंदर आते वक्त???
गुंडे: वो बॉस......
काव्या: क्योंकि यहां का सिक्योरिटी कंट्रोल ब्रेक हो चुका है.....
राकेश: क्या.....???

थोड़ी देर बाद...

पुलिस अंदर आ चुकी होती है.... और इंस्पेक्टर राकेश काव्या के सर पर बंदूक ताने होते हैं.....

राकेश: मुझे यहां से जाने दो वरना मैं इस लड़की को मार दूंगा...
काव्या: इंस्पेक्टर ऋषि... इस आदमी की बात मत सुनिए, यह मेरे साथ कुछ नहीं करेगा...
राकेश: सच में..... जब मैं राष्ट्रपति को मारने का सोच सकता हूं तो तुम क्या चीज़ हो....? हे इंस्पेक्टर... मैं अखिरीबार कह रहा हूं की मुझे जाने दो वरना.....
काव्या: मारना होता तो तुम्हारे पास कई मौके थे मुझे मारने के, पर.... पर तुम अपनी ही बेटी को कैसे मार सकते हो ?

काव्या की बात सुनते ही इंस्पेक्टर ऋषि और राज चौंक जाते हैं.... और राकेश भावुक और हैरान दोनो रह जाता है।

राज: काव्या... ये तुम क्या कह रही हो??
काव्या: उस फोटोफ्रेम के पीछे वाली तस्वीर में राकेश की गोद में एक बच्ची भी थी.....
राज: हां तो वह स्वाती और इस आदमी की.....
राकेश: मेरी कोई बेटी नहीं है.... कोई बेटी नहीं है....
काव्या: अगर ना होती तो उसके करीब रहने के लिए एक गैंगस्टर होते हुए भी तुम पुलिस फोर्स ना ज्वाइन करते...., ये जानते हुए की वह तुम्हारे कई राज जान चुकी है तुम उसे जिंदा नहीं छोड़ते.....
राकेश: तुम क्या बकवास कर रही हो.... तुम्हे क्या लगता है.... तुम इस तरह बच जाओगी...., मैं तुम्हे छोड़ दूंगा???

राकेश मानने को तैयार नहीं था की काव्या उसकी बेटी है... वो तो यह भी मानने को तैयार नहीं था कि उसकी कोई बेटी भी है.....। उसकी बात सुन काव्या इंस्पेक्टर ऋषि से बंदूक छीन खुद के ऊपर तान देती है, जिसे देखकर सब घबरा जाते हैं....

राज: काव्या... ये तुम क्या कर रही हो?? बंदूक नीचे करो...
इंस्पेक्टर ऋषि: काव्या.. बंदूक मुझे दे दो...
काव्या: अब बताइए इंस्पेक्टर राकेश ऊर्फ मास्टरमाइंड.... मैं आपकी बेटी हूं या नहीं है???

राकेश काव्या को खुदपर बंदूक ताने देख बहुत डर जाता है....

राकेश: पुलिस की खबर मिलने के बाद मैंने तुरंत स्वाती को फोन किया और उसे हमारी एक साल की बेटी रूही के साथ भागने के लिए बोला। स्वाती रूही को लेकर घर से निकल गई पर पुलिस ने उसे देख लिया और उसका पीछा करने लगी। रास्ते में भागते वक्त.... स्वाती को उसकी दोस्त दिख गई तो उसने रूही को अपनी दोस्त को पकड़ा दिया.... बिना ये जाने की उसकी उस हालत की जिम्मेदार उसकी खुद की दोस्त है... उसकी सबसे अच्छी दोस्त "सीता"।
भागते भागते स्वाती एक कार से टकरा जाती है, हॉस्पिटल में जब वह अपनी आखिरी सांस गिन रही थी तब उसने मुझे बताया कि उसने रूही को अपनी दोस्त को दे दिया था...।
उसके बाद मैं रूही को लेने आया लेकिन उसे एक मां की गोद में देखकर मैंने अपना फैसला बदल लिया.... रूही की खुशी के लिए मैंने सीता को भी माफ करने का फैसला किया और फिर रूही के करीब रहने के लिए मैंने SHO राम से दोस्ती की और पुलिस फोर्स ज्वाइन कर लिया।

राकेश की बात सुन काव्या की आंखो में आंसू आ जाते हैं, वह अपने आंसू पोंछती है और कहती है....

काव्या: जो भी हुआ उसकी जिम्मेदार मेरी मां नहीं थीं बल्कि आप थे... आपने अपनी खुद की वजह से अपनी बीवी और बेटी को खो दिया और उसकी सजा मेरी मां को दिया उनकी मां को मारकर।
राकेश: वो तुम्हारी मां नहीं है....
काव्या: आप अपने आप को पुलिस के हवाले कर दीजिए.... वरना मैं खुद पे बंदूक चला दूंगी....
राकेश: काव्या... तुम मेरे साथ चलो... यहां से दूर, बहुत दूर...
काव्या: एक.... दो.....

तभी बंदूक चलने की आवाज आती है.... राज और इंस्पेक्टर ऋषि चौंक जाते हैं....

एक सप्ताह बाद.....

मास्टरमाइंड की गैंग को गैर कानूनी , अवैध धंधे और राष्ट्रपति को जान से मारने की कोशिश करने के जुर्म में फांसी की सजा सुनाई जाती है।
और गौरव ( हैकर, जिसे राकेश ने किडनैप किया था) को सेल्फ डिफेंस में और कई जाने बचाने के लिए इंस्पेक्टर राकेश उर्फ मास्टरमाइंड के बॉस पर गोली चलाने के लिए..... इंस्पेक्टर ऋषि, डिटेक्टिव काव्या और SHO राम के बयान पर बाइजत बरी किया जाता है।

अदालत के बाहर....

काव्या: आपका बेटा कैसा है अब???
गौरव: ठीक है.... उस दिन मैं उसे बेहोश देखकर डर गया था और मुझे लगा कि वो.... इसलिए मैंने गुस्से में राकेश पर गोली चला दी।
राम: चिंता मत करिए.... वो आदमी एक खूनी था, और आपने एक खूनी को मारा है।

कुछ देर बाद, जब SHO राम और काव्या घर के निकल रहे होते हैं तभी काव्या की नजर राज के साथ खड़ी अपनी मां पर पड़ती है। वह उनके पास जाती है तो देखती है वह रो रही होती हैं, काव्या उनको गले लगा लेती है और कहती है आपने जो किया वो सही था..... उसमे आपकी कोई गलती नहीं थी, और जो होता है वो अच्छे के लिए होता है।

उसके बाद राम, सीता ,काव्या और राज पुलिस की जीप में बैठते हैं और घर के लिए निकल जाते हैं।




मास्टरमाइंड कहानी यहीं समाप्त होती है, आशा करती हूं आपको यह कहानी पसंद आई होगी।
आप सभी का इसपर वक्त देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद और इतना इंतजार करवाने के लिए मैं मांफी चाहती हूं।



(End)
#mastermind
© Sankranti chauhan