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शक्ति –जो हमारे चारों तरफ है
कभी-कभी लगता है क्या लिखूं या क्या बताऊं ऐसा लगता है, दुनिया में बहुत कुछ लिखा जा चुका है , बहुत तरीके से लिखा जा चुका है ,सब अपनी बात अपने हिसाब से बताते है ।

सब ने कुछ न कुछ किसी न किसी विषय पर लिख दिया है ,फिर सोचती हूं क्या अभी भी कुछ बाकी है लिखने के लिए जो दुनिया को नहीं पता है या दुनिया नहीं जानती ,बहुत सोचती हूं इतनी बड़ी दुनिया है ,कितना बड़ा संसार है, इतने लोग हैं, और क्या हम सच में एक दूसरे से अलग है ,हम अलग हैं हमारे शरीर अलग पर हमारे जो विचार है कहीं ना कहीं आपस में किसी न किसी कोने से एक दूसरे से मिलते जुलते है,भाषाएं अलग है ,खानपान अलग है, रहन-सहन अलग है ,पर शायद जो विचार है वह कहीं ना कहीं मिलता जुलता है ,सब चाहते हैं शांति रहे चारों तरफ़ हर तरफ समृद्धि रहे , सब की बहन बेटियां सुरक्षित रहें ,पर लोगों के कहने के तरीके लोगों के जताने के तरीके कितने अलग हैं। 

हमारे शरीर अलग है रंग रूप अलग अलग पर विचार कहीं ना कहीं एक दूसरे से मिलते हैं ,यहां तक की एक दूसरे की जिंदगी की कहानी भी आपस में मिलती है, कितनी विचित्र दुनिया है, सबसे हैरानी की बात यह है हम बहुत लोग हैं ,बहुत बड़ा संसार पर चलाने वाला एक ,सिर्फ इस एक (शक्ति जो हमारे चारों तरफ है) को पता है, किसको क्या चाहिए किसके लिए क्या उचित है, किसके लिए कितना उचित है , किसको कैसे बनाना है ।

कभी-कभी सोचती हूं यहां अगर घर में दो बच्चे हो जाए तो मां-बाप कहते हैं हमारी तो जिंदगी ही खराब हो गई है, हम कैसे संभाले बच्चों को  कोई सगी संबंधी नहीं आए हमें संभालने , और भी बहुत तरह के इल्जाम लगाते हैं ,बहुत तरह की शिकायतें होती है ,पर वह जो शक्ति है जो हम सब की शिकायतें  सुन रहा है बिना कोई स्वार्थ के बिना कोई चढ़ावे के निरंतर हमारे साथ चल रहा है।

वही एक शक्ति है जो हर किसी के साथ हैं ,वही शक्ति है जो हर किसी की रक्षा कर रही है, तब भी मनुष्य जो है ,वह इतना घमंडी है ,जो कुछ करता है यही बताता है मैंने किया है ,पर जहां तक मेरा मानना है, हम कर्म करते और फल  निर्धारित वही शक्ति करती हैं, वहीं हमसे सब कुछ करवाती हैं ,उसी के इशारे पर हम सब अपने-अपने कर्म कर रहे हैं ,कई लोग तो अपने अच्छे कर्मों करने का श्रेय खुद को ही देते हैं, पर ऐसा नहीं है वही परम शक्ति है, जो हमसे चाहे जो करवा ले ।


—अंकिता द्विवेदी त्रिपाठी —
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