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" माँ का दिन "

जीवन का हर दिन, हर पल, माँ का दिन होता है
हर साँस, हर धड़कन, सब पर माँ का हक़ होता है

हमारी नसों के दौड़ते खून की, हर बूँद में वो हैं
आत्मा से लेकर परमात्मा तक, हर जगह वो हैं

हर बात में, हर आस में, हर पड़ाव पर वो हैं
लड़खड़ा गए जहाँ कदम, उस मोड़ पर वो हैं

हमेशा हिम्मत देती, साथ देती वो सब लम्हा साथ हैं
टूटने नहीं देती, मुश्क़िलों में सिर पर उसका हाथ है

माँ के आँचल में शांति है, सुख है, समृद्धि है, भोर की किरण है
उनकी बातों में आस है, उम्मीद है, भरोसा है, आत्मा की तृप्ति है

माँ है तो जन्नत है, दुआएँ हैं, प्यार है, दुलार है, उनकी नेमतें हैं
अब जब वो पास नहीं हैं, तो सिर्फ़ सैंकड़ों मुश्क़िलें और आफतें हैं

माँ की आवाज़ में जो सुकून था, वो अब कहीं नहीं है
उनकी पायल की आवाज़ कहती थी, वो यहीं कहीं हैं

मायके की हवा में, उस घर की ख़ुशबू में, हर जगह अब भी वो हैं
घर के परदों से लड़ती, दरवाज़े पर इंतज़ार करतीं, अब भी वो हैं

रसोई के मसालों की महक में वो हैं, बर्तनों की खन-खन में वो हैं
मंदिर की घंटी की आवाज़ में वो हैं, सुबह होती हर भोर में वो हैं

कपड़ों की तह में, पानी के शोर में, चिड़ियों की आवाज़ में वो हैं
हर माँ की आवाज़ में, उनकी डाँट में, भूख और प्यास में वो हैं

मायके की छत में, दीवारों की हर ईंट में, सीमेंट में, रंग में वो हैं
जो उनके हाथों को कभी छूकर गुज़रे हैं, इनके कण कण में वो हैं

अक्सर "इन्हें" छूकर "उन्हें" महसूस करने की कोशिश करती हूँ
जब सामना होता है सच से, दीवारों से लिपट कर बेतहाशा रोती हूँ

मायके में बेटी का स्वागत करने को, आज तुम वहाँ नहीं हो
इंतज़ार में आँखें दरवाज़े पर गड़ाये खड़ी, तुम कहीं नहीं हो

होने को तो हर जगह हो, पूरी क़ायनात में तुम आज भी बसी हो
मग़र सच तो यही है, कि तुम मेरे पास तो क्या, कहीं भी नहीं हो

मेरी नज़र से देखे कोई, तो कण कण में वो आज भी रहती हैं
मन की आँखों से देखोगे तो पाओगे कि वो सचमुच यहीं रहती हैं

खुशकिस्मत हूँ, अच्छा और सच्चा व्यक्तित्व माँ के रूप में पाया है
कभी कभी लगता है, कहीं ना कहीं मुझमें, तुम्हारी संपूर्ण छाया है

बेशक़ अब तुम मेरे साथ नहीं हो, मेरी यादों में हमेशा पास रहोगी
तुम कहीं भी रहोगी, जहाँ भी जाओगी, हमेशा मेरी ही माँ रहोगी

🙏🙏💐💐

© सुधा सिंह 💐💐