...

2 views

अनजानी रात ८
जैसे ही राज को होश आता है, करण उसके पास दौड़ चला आता है और राज को सब बताने की कोशिश करता है।

करण- सुनो राज! तुम्हें मेरी बात सुननी पड़ेगी । करण आगे कहता है राज जो करण उस दिन तुम्हारे साथ था क्या उसमें और मुझमें कोई फर्क लगता है तुम्हें?
राज : हाँ! लगता तो है ! उसके चलने का तरीके, बात करने का ढंग तुमसे बिल्कुल अलग था ।
करण: अच्छा तो ये बता कि जब तू घर वापिस आया तो कैसे आया था ?
राज (सोचते हुए) : गाड़ी से । लेकिन उसके ब्रेक फेल नहीं थे।
करण : कुछ समझ आया राज? वो करण जो तुम्हारे साथ था वो मैं था ही नहीं! और उसने जो कुछ भी किया सब ढोंग था। अच्छा ये बता कि तुझे कमल ने क्या कहा था कि मैं तस्करी का सामान बेचना चाहता हूँ ?
राज: हाँ। यही कहा था!
करण : तो अगर ऐसा ही होता तो मैं वो सामान राहुल को क्यों देता?

करण राहुल को फ़ोन करता है कि और राज से उसकी बात कराता है। राज को समझ आने लगा था कि करण निदोष है !

राज: करण! मुझे ये तो पता चल गया कि तूने कुछ नहीं किया। लेकिन इन सब के पीछे है कौन?
करण : और कौन हो सकता है। कमल है इन सबके पीछे!
राज : मतलब कमल कभी दौस्त बन ही न सका।
करण: क्या? क्या मतलब? तू कभी कमल का दोस्त नही था?
राज: नहीं। बिल्कुल नहीं। अरे वो तो मेरा सबसे बड़ा दुश्मन है। दरअसल कमल का एक दोस्त था अमर! दोनों बहुत अच्छे दोस्त थे लेकिन दोनों के बीच कुछ कहासुनी हो गई जिस वजह से अमर ने उससे दोस्ती तोड़कर मुझसे दोस्ती कर ली और कमल को लगने लगा कि ये सब मेरा किया धरा है।
करण : तो उस वजह से…
राज : नहीं! अमर से दोस्ती टूटने के बाद उसका बर्ताव बदलने लगा जिस वजह से वो बहुत चिड़चिड़ा होने लगा और उसके सब दोस्त उससे दूर होने लगे! कमल को लगने लगा कि अमर से दोस्ती तुड़वाकर मेरा मन न भरा तो मैने उसके सभी दोस्तों से उसे अलग कराया है। राज आगे कहता है मुझे लगता है कमल ने इसी का बदला लेने को ये सब किया है।

राज की सेहत दिन-ब-दिन बहतर होने लगी औरतो जल्द ही ठीक होकर घर आ जाता है लेकिन कमल ने करण को झूठ क्यों कहा-ये करण को तो समझ न आया और न ही ये राज़ राज को पता चला !


© Utkarsh Ahuja