...

1 views

बूढ़ी अम्मा भाग ११
सौभ्य के पिताजी कोयली को शादी के लिए न कर
चल दिये।सौभ्य मन ही मन सोच रहा था पिताजी
ने तो मना किया था मैंने ही जिद कर डाली।
वो अपने आप पे शर्मिंदा तो हो ही रहा था,साथ में
कोयली व उसके परिवार वालों के लिए भी सोच
कर दुखी था।
इधर कोयली को बहुत बड़ा धक्का लगा,उसे सौभ्य से ऐसी उम्मीद नहीं थी।
सौभ्य तो सब जानते थे फिर उन्होंने अपने पिताजी
को सब बताया क्यों नहीं।
अम्मा ने कोयली को सांत्वना देते हुए कहा बेटा दुखी नहीं होते।वैसे सौभ्य ने तो कहा है न
वो तुम्हारा इंतज़ार करेंगे।
कोयली निरुत्तर हो एक कमरे में जा बैठ गई।
कोयली के पिताजी की आवाजें आ रही थी।
मुझे तो पहले से ही पता था जिसपे तुम लोग
इतना विश्वास कर रहे हो वो एक दिन विश्वासघात
करेगा ही करेगा।
बेर वाली अम्मा से न रहा गया कहने लगी किसी
के बारे में इतना कुछ बोलने से पहले सोच लिया करो किसके बारे में बोल रहे हो।
ये वही हैं जिन्होंने हमारी आर्थिक स्थिति में काफी
मदद की अगर आज सौभ्य न होते तो मैं भी जिन्दा
न होती।वैसे सौभ्य की कोई गलती नहीं है।
वो चाहते तो कोयली से शादी तो अपने पिताजी
की रजामंदी के बिना भी कर सकते थे।लेकिन
उन्होंने ऐसा नहीं किया।ये दर्शाता है कैसे माहौल में सौभ्य की परवरिश हुई है।
रही बात बेटी को अनपढ़ कहने की इसमें भी कोयली का कोई कसूर नहीं है।
इसके लिए भी हम दोनों ही कसूरवार हैं।
हम कमाने में लगे रहे और अपनी नन्ही सी बेटी से
घर के सारे काज करवाते रहे।
कोयली के पिता ...ये सब तो तुम्हे पहले सोचना
चाहिये था।
अम्मा ..क्या एक पिता का कोई कर्तव्य नहीं बनता
वो सिर्फ ऐशोआराम करने के लिए व दारु में मेहनत की कमाई उड़ाने के लिए है।
कोयली के पिताजी ..बहुत तेरी जुबाँ खुलने लगी है
ये सब उस सौभ्य का किया धरा है।
अब वो इस घर में पैर रख के तो देखे पैर तोड़ दूँगा।
कोयली सब सुन रही थी।
आप लोग क्यों झगड़ रहे हो जो भी सौभ्य के पिताजी ने कहा सब सत्य कहा।
एक लड़की का पढ़ा लिखा होना बहुत जरुरी है।
ऐसा कहने पे बुरा मुझे अवश्य लगा।
क्योंकि सच्चाई अक्सर कड़वी होती है।
लेकिन मैंने भी अब निश्चय कर लिया है।
अब भी देर नहीं हुई है मुझे भी पढ़ लिख कर
कुछ बनना है।
पिताजी आपने अम्मा के लिए किया ही क्या है।
इन्होंने अपनी सारी जिंदगी आपको समर्पित कर दी।
आज कोयली को पहली बार अहसास हुआ
आज पहली बार उसने गलत बात का विरोध करने के लिए आवाज़ उठाई थी।
© Manju Pandey Choubey