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Ek aurat ke sar ka taaj?
Ek aurat ke

sar ka taaj ?

एक औरत के सर का ताज कोई और नहीं सिर्फ और सिर्फ उसका पति होता है लेकिन तब तक ही जब तक वह जीवित रहता है।

 जिसको वह अपने जीवन में सबसे ऊंचा स्थान देती है और यह वह अपने माथे पर अपनी मांग में सिंदूर भर कर व्यक्त करती है कि उसके जीवन में उसके पति का क्या स्थान है और यह हर सुहागन औरत करती है। सिंदूर हर औरत के सुहागन होने की एक निशानी होती है। जिससे पता चलता है कि वह शादीशुदा है।

 हमारे यहां सुहागन स्त्रियां सिंदूर को भगवान से भी ऊंचा स्थान देती है। वह भले ही रोज भगवान की पूजा करें या ना करें लेकिन वह शादी होने के बाद हर दिन अपनी मांग में अपने पति के नाम का सिंदूर भरती हैं।

 एक कथा के अनुसार जब सीता माता ने अपनी मांग में सिंदूर भरा था तब वहां हनुमान जी भी उपस्थित थे और जब हनुमान जी ने सिंदूर लगाते हुए देखा तो उन्होंने इसका कारण पूछा... तब माता सीता ने बताया की ये सिंदूर मेरे...