तेरी-मेरी यारियाँ ( भाग - 12 )
जिसकी वजह से मानवी के हाथ पर चोट लग जाती है। तभी कार मे बैठा लड़का भाग कर मानवी के पास आता है। यह लड़का कोई और नही बल्कि देवांश है वह घबरा कर कार से बाहर निकल कर मानवी से पूछता है।
देवांश :- आप ठीक तो है आपको कही लगी तो नही ?
मानवी बिना कुछ बोले वहाँ से उठकर एक कपड़ो की दुकान पर चली जाती है। गीतिका भी देवांश को घूरते हुए मानवी के पीछे चली जाती है।
मानवी के ऐसे चुपचाप वहाँ से चले जाने पर देवांश मन ही मन सोचता है।
देवांश :- बड़ी अजीब है। बिना कुछ बोले ही चली गई। खैर मुझे क्या है।
देवांश वापस अपनी कार मे जाकर बैठ जाता है और वहाँ से चला जाता है।
दोपहर का एक बज चुका था। निवान और वाणी के स्कूल की छुट्टी हो चुकी थी। वह जल्दी से अपने घर जाकर हाथ मुँह धोकर अपनी माँ से बोलते हैं।
निवान :- माँ जल्दी से खाना लगा दो बहुत भूख लगी है।
गीता :- अभी लाती...
देवांश :- आप ठीक तो है आपको कही लगी तो नही ?
मानवी बिना कुछ बोले वहाँ से उठकर एक कपड़ो की दुकान पर चली जाती है। गीतिका भी देवांश को घूरते हुए मानवी के पीछे चली जाती है।
मानवी के ऐसे चुपचाप वहाँ से चले जाने पर देवांश मन ही मन सोचता है।
देवांश :- बड़ी अजीब है। बिना कुछ बोले ही चली गई। खैर मुझे क्या है।
देवांश वापस अपनी कार मे जाकर बैठ जाता है और वहाँ से चला जाता है।
दोपहर का एक बज चुका था। निवान और वाणी के स्कूल की छुट्टी हो चुकी थी। वह जल्दी से अपने घर जाकर हाथ मुँह धोकर अपनी माँ से बोलते हैं।
निवान :- माँ जल्दी से खाना लगा दो बहुत भूख लगी है।
गीता :- अभी लाती...