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प्यार : एक स्वार्थ।।
कहते है... दुनियां की कोई भी बात स्वार्थ से शुरू होती है। अरे! वही जिसे तुमलोग Selfishness कहते हो। हां! इश्क भी स्वार्थी होता था। मोहब्बत भी Selfish होती है। आज मैं अपने लफ्जों में ये बयां करता हूं की क्या मोहब्बत सच में selfish होती है?

हां! मोहब्बत भी स्वार्थी होती है। हम भी स्वार्थी थे।
जानते हो जब कोई लड़का Lowest Middle Class से Belong करता हो, जहां गरीबी ना हो पर गरीबी की वो रेखा जरूर हो। जहां कल क्या खाना है ये सोचकर आज से पैसा रखा जाने लगता है। वो वाला Middle Class...
ऐसे लोगों की ज्यादा से दोस्ती नहीं हो पाती है। बस कोई आता है तो अपने मतलब के लिए। और हमारी आदत भी तो वैसी ही है या यूं कहो तो संस्कार... कोई मदद के लिए आया और हमारे पास वो चीज हो तो हम मदद कर ही देते है। और अगर Help नहीं किए तो दिल हमसे बार-बार ये सवाल करता रहता है की तू उसका Help कर सकता था, पर तूने नहीं किया। इस सवाल से बचने के लिए ही हम उनकी मदद कर देते है। कि चलो! दिल के इस सवाल से पीछा तो छूटा रहेगा।
समय से ज्यादा कीमती कुछ भी नहीं होता है। और जब हम किसी को अपना समय देते है और बाद में पता चलता है की यार उस इंसान ने खुद को नहीं हमारे दिए उस समय को ही गलत बता दिया। तो ऐसा झटका लगता है न कि ये पूरी कायनात ही गलत लगने लगती है। झूठी लगने लगती है। उस वक्त दिल करता है, सबसे दूर चले जाए। कहीं एकांत में हमेशा के लिए।

Lowest Middle Class... ये वैसी Family होती है न, जहां मां बाप बच्चे की हर एक ख्वाइश पूरी करने के लिए तैयार होते है, पर हम अपनी Problem, अपनी ख्वाइश अपने तक ही रखते है। Family को कुछ भी बोलने से पहले ये सोचना पड़ता है की यार! कैसे बोले? हमारी Problem जानने के बाद, Problem कम होने की बजाय बढ़ सकती है।
अब बात आती है प्यार की... हमें प्यार कभी मिलता नहीं है। और आखिर ये प्यार हो कैसे जाता है? जानते हो जब हमारे अंदर एक ‘स्वार्थ’ आता है। कि कोई हो जिसको हम अपनी Problem बता सके। वो मेरी उन बातों को मजाक ना समझे। जब किसी को देखकर ऐसा लगने लगता है की वो मुझे समझेगी। हमसे दूर नहीं जाएगी। दुनिया से परेशान होकर जब हम सुकून खोजने लगते है, तब प्यार होता है। और ये प्यार हमसे हमारी मुस्कान तक छीन लेता है। हमारी जिंदगी पहले से ज्यादा बैचेन हो जाती है। किसी एक शख्स को पाने के लिए हम खुद को खो बैठते है। इतने बर्बाद हो जाते है की हर कोई हमें बस पागल समझता है। किसी को पागलों जैसा प्यार कर लो न तो वो पागल कर छोड़ जाते है। और हम बस खुद को समझाते रह जाते है की चलो! यार कोई नहीं। ये आज पहली बार थोड़ी हुआ है, बस इस बार हद से ज्यादा हो गया, पर कोई नहीं। और इसके बाद हमें किसी की तलाश नहीं रहती है।

सुकून ना तलाशना किसी की गोद में,
ये जिस्म के भूखे तुम्हें लाश बना जाएंगे।

© Rahul Raghav

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