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बुरा सपना
एक पुराना सा घर था। मैने दरवाजा खोला। किसी ने जैसे कहा अंदर आ जाओ। मैं थोड़ा डर गया पर फिर ने अंदर गया। देखा तो कोई नहीं था वहां। फिर किसी के हसने की आवाज़ अाई, मैं भाग के वह गया। एक गुड़िया थी वहां और कोई नहीं था। पता नहीं पर क्यों मुझे वो पसंद अाई। मैने उसे उठाया। फिर यह वहां देखा, कोई नहीं था तो में वहां से लौट ने लगा। लौटते वक़्त कोई मेरे पिछे पिछे चल रहा हो ऐसा लगा। पलट कर देखा कोई नहीं था। जैसे हि आगे की ओर पलटा तो वहां गुड़िया खड़ी थी और मुस्कुराते हुवे मेरे पास आ रही थी। मैं डर के मेरे चिला ना चाहता हूं पर आवाज़ नहीं निकाल रही। भाग ना चाहता हूं पर भाग नहीं पा रहा। एक पुतला सा बन के खड़ा हूं। वो ओर मेरे करीब आ गई और मुझे मरने ही वाली थी के मेरी आंख खुली। मैं ने खुद से कहा ये तो सपना था। डर पर फिर बी मुझे लग रहा था। पानी पीने रसोईघर गया। पानी पी ही रहा था कि मेरी नजर एक गुड़िया पे पड़ी। वो वही थी जो मेरे सपनों में अाई थी, और मुझे देखकर मुस्कुरा रही थी।
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© Shefali