...

4 views

विचार ही हमारे व्यतित्व का आइना होते हैं
व्यक्ति के व्यव्हार में व्यक्तित्व की झलक दिखती है, हमारी छवि हमारी प्रतिबिम्ब यानि हमारी रूपरेखा है. व्यव्हार झलक मात्र है. हम जैसे होते है वैसा व्यव्हार करते है.......



राम, कृष्ण, महावीर, गौतम बुद्ध आदि जितने भी महापुरुष हुए हैं, वे अपने उत्कृष्ट विचारों के कारण ही अनेक बलिदान कर महान पद प्राप्त कर सके थे। हमें सुखी, समृद्ध और पवित्र जीवन के लिए विचार शक्ति को हमेशा शुद्ध और परिपुष्ट बनाना चाहिए।

हमारा व्यक्तित्व विचार और चिंतन से बनता है। यह हमारे जीवन के अब तक के चिंतन और समस्त विचारों का प्रतिफल होता है। हम विचारों द्वारा ही उन्नति कर जीवन के उच्चतम लक्ष्य प्राप्त कर सकते हैं। जीवन वैसा ही होता है, जैसा हमारे विचार उसे बनाते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि यह विचारों का दर्पण है।
इस प्रकार विचार जीवन की आधारशिला हैं। हमारे पास कितना भी धन, दौलत और समृद्धि क्यों न हो, परंतु यदि हमारे विचार और चिंतन में हर समय धन की लालसा बनी रहती है, तो हमसे बड़ा गरीब इस दुनिया में कोई नहीं मिलेगा। इसके विपरीत हम फकीर होते हुए भी यदि संतोषी स्वभाव के हैं, तो सुखी जीवन बिता सकते हैं। भय और शंका के विचार रहने पर हम किसी भी कार्य को करने से पहले ही असफलता की आशंका से ग्रस्त हो जाते हैं। ऐसी स्थिति में हमें सफलता कैसे मिल सकती है। जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए विचारों में सकारात्मकता और दृढ़ता का होना बहुत ही आवश्यक है। विषम परिस्थितियों में भी संतुलित मानसिक स्थिति और रचनात्मक सोच द्वारा हम सफलता की ओर अग्रसर हो सकते हैं। नकारात्मक सोच होने पर हमारे अंदर प्रत्येक गलती के लिए अपने को दोषी समझने की आदत बन जाती है। इस स्थिति से विचार शक्ति द्वारा ही निकला जा सकता है। मनुष्य सदा क्रियाशील रहता है। उसके कर्मों, उसकी भावनाओं के साथ विचार शक्ति का गहरा संबंध है। मन एक कार्यशाला है जिसमें न केवल चिंतन होता है, बल्कि विचारों का उदय भी होता है। विचारों की शुद्धता, परिपुष्टता और उत्कृष्टता के लिए मन का शुद्ध और पवित्र होना बहुत ही आवश्यक है। मन को शुद्ध करने के लिए संपूर्ण जीवन में यानी मनुष्य के समस्त कार्यों व व्यवहार में सत्य का होना परम आवश्यक है। दुनिया में यदि कोई व्यक्ति महान बना है, तो उसके पीछे उसकी विचार शक्ति रही है। @Rudra2018 @ThoughtlessAgent #