मेहनत का फल
( लघु कथा )#बिगुल
शीर्षक- मेहनत का फल
दिनांक-11-11-2022
एक दिन मैं ऐसे ही खिड़की के पास बैठी हुई थी।
मेरे कानों में हवा के झोंके के साथ-साथ बिगुल की बजने की इतनी मीठी मधुर आवाज आ रही थी,
ऐसा लग रहा था जैसे कान्हा ने अपनी मुरली की मधुर तान छेड़ी हो, और मेरे कान खड़े हो गए उसको सुनने के लिए। यह आवाज कहां से आ रही है ,यह पता करने के लिए, मैं घर से निकली और....
जैसे तैसे मैं पता करती हूई वहा तक पहुंची,तो पता चला , वहां पर एक कुम्हार रहता है, उसका परिवार ।
अपने परिवार को पालने के लिए वह बहुत मेहनत करता है ।रात दिन लगकर, मिट्टी के खिलौने तरह तरह की चीजें बनाया करता है। जिससे उसका परिवार पल जाए। उनको कभी किसी चीज की कमी नहीं हो उनके ऐसे विचार सुनकर मैं दंग रह जाती, अच्छे-अच्छे पैसे वाले लोग इतना नहीं सोचते जितना वो एक छोटा सा कुम्हार सोच रहा था, अपने बच्चों को पालने के लिए कड़ी मेहनत कर रहा था।
और ऊन को जैसे तैसे बेचकर दो पैसे कमा कर घर में लाता , जिससे घर के लोग भूखे ना रहे, पेट भर कर कम से कम खाना तो खा ले ,इतना वह कमा ही लेता था और उन पैसों से उनका परिवार चलता था। खिलौने बेचने के साथ था वह अपना बिगुल भी अपने पास रखता था और बड़ी मधुर आवाज में बजाया करता था ,उसकी बिगुल की आवाज सुनकर सारे लोग दौड़ दौड़ के आ जाते थे बच्चे बूढ़े जवान और उनके खिलौने खरीद खरीद कर ले जाते थे ,बड़े खुशी खुशी,
जब सारे खिलौने मटकिया बिक जाती तो किसान भी खुशी-खुशी अपने घर लौट आता था और बच्चों के लिए शहर से जब सारे खिलौने जिस दिन भी बिकते तो थोड़ी सी मिठाई भी खरीद कर ले लाता था , मिठाई देखकर बच्चे इतना खुश होते कि जिसकी कोई सीमा नहीं, वह समझ जाते कि आज पापा के सारे खिलौने और मटकीया बीक गई हैं इसीलिए पापा मिठाई लेकर आए हैं।
और...
शीर्षक- मेहनत का फल
दिनांक-11-11-2022
एक दिन मैं ऐसे ही खिड़की के पास बैठी हुई थी।
मेरे कानों में हवा के झोंके के साथ-साथ बिगुल की बजने की इतनी मीठी मधुर आवाज आ रही थी,
ऐसा लग रहा था जैसे कान्हा ने अपनी मुरली की मधुर तान छेड़ी हो, और मेरे कान खड़े हो गए उसको सुनने के लिए। यह आवाज कहां से आ रही है ,यह पता करने के लिए, मैं घर से निकली और....
जैसे तैसे मैं पता करती हूई वहा तक पहुंची,तो पता चला , वहां पर एक कुम्हार रहता है, उसका परिवार ।
अपने परिवार को पालने के लिए वह बहुत मेहनत करता है ।रात दिन लगकर, मिट्टी के खिलौने तरह तरह की चीजें बनाया करता है। जिससे उसका परिवार पल जाए। उनको कभी किसी चीज की कमी नहीं हो उनके ऐसे विचार सुनकर मैं दंग रह जाती, अच्छे-अच्छे पैसे वाले लोग इतना नहीं सोचते जितना वो एक छोटा सा कुम्हार सोच रहा था, अपने बच्चों को पालने के लिए कड़ी मेहनत कर रहा था।
और ऊन को जैसे तैसे बेचकर दो पैसे कमा कर घर में लाता , जिससे घर के लोग भूखे ना रहे, पेट भर कर कम से कम खाना तो खा ले ,इतना वह कमा ही लेता था और उन पैसों से उनका परिवार चलता था। खिलौने बेचने के साथ था वह अपना बिगुल भी अपने पास रखता था और बड़ी मधुर आवाज में बजाया करता था ,उसकी बिगुल की आवाज सुनकर सारे लोग दौड़ दौड़ के आ जाते थे बच्चे बूढ़े जवान और उनके खिलौने खरीद खरीद कर ले जाते थे ,बड़े खुशी खुशी,
जब सारे खिलौने मटकिया बिक जाती तो किसान भी खुशी-खुशी अपने घर लौट आता था और बच्चों के लिए शहर से जब सारे खिलौने जिस दिन भी बिकते तो थोड़ी सी मिठाई भी खरीद कर ले लाता था , मिठाई देखकर बच्चे इतना खुश होते कि जिसकी कोई सीमा नहीं, वह समझ जाते कि आज पापा के सारे खिलौने और मटकीया बीक गई हैं इसीलिए पापा मिठाई लेकर आए हैं।
और...