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पाँच पत्थर
मेरे पाँच अनोखे पत्थर

मैं और चँदा ,बच्चपन की दो सहेलियाँ ,और हमारे वे साथी जो अक्सर हमारे साथ रहते थे। हमारे वो पाँच अनोखे पत्थर। जिनके के बिना हमने एक दिन न बिताया हो । मैं रोज स्कूल जाया करती थी। पढ़ाई और लिखाई तथा चित्रकला मे मेरी अधिक मात्रा मे रूचि हुआ करती थी।अपितु चँदा इन सबसे दूर रहा करती थी। उसे बस कढ़ाई, बुनाई ,सिलाई और तरह तरह के व्यंजन बनाना अधिक पसंद था। पर हम दोनों के अटूट रिश्ते को बाँधे रखा उन पाँच पत्थरोंने। जिनसे हम...