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jajbaat
चलो सुनते हे आज किसी की का, ना ही राजा हे और ना ही रानी।
कहते है शादी दो इंसानों के बीच होती है , और प्यार कभी पहले तो कभी बाद में होती है।और कहीं रिस्टो में तो प्यार होता ही नहीं है।
और किसी रिस्तो में तो प्यार होते हुई भी जताते नहीं है लेकिन ये को दिल की बात होती है ना वो किसी से चुप ती नहीं है। कहीं ना कहीं किसी के जरिए से ही सही आखिर कर वो दिल की जाजबात उस दूसरे इंसान तक पहुंच ही जाती है।
वैसे ही थी इनकी कहानी हे चोटी सी लेकिन फिर भी प्यारी थी।
सीता जो की अनाथ थी घर के कामों के अलावा उस कुछ नहीं आता था। अपनी मौसी के साथ पली बरी उस कभी मा की प्यार नसीब ही नहीं हुआ। इसी में उसकी मौसी ने उसकी शादी एक अमीर इंसान जिसके पहली से ही एक बीवी थी उससे करवा दिया । सीता की मौसी के हिसाब से उनके सर से बला जाती और सीता को वाहा भेज दिया। सीता नादान थी कुछ नहीं पता था जो उससे जैसे बोले वो वैसा कर जाती थी। शादी के पहली रात------
सीता अपने कमरे में शांति से बैठी हुई...
राज(सीता की पाती)- (दारू पीकर बोलने लगे/) ये और एक बला आ गई मेरे घर पहले एक बीवी काम थी क्या और दूसरी भी। लेकर चले आए दयड ने, सो जाए चुप कप मुझसे कुछ उम्मीद ना रखना।
सीता घबरा कर सो गई...