बस स्टेशन: छोटी लड़की
गर्मी की छुट्टियाँ खत्म होने में केवल पंद्रह दिन बचे थे। आज माँ और मेरी बड़ी बहन मामा जी के घर से अपने घर आने वाले थे। इस बार में नानी के घर नहीं गया क्योंकि विडियो गेम और अन्य खेलों ने मुझे अपने जाल में फँसा लिया था।
मैं पापा के साथ माँ और दीदी को लेने के लिए बस स्टेशन पहुंच गया। बस को आने में अभी आधे घंटे से भी ज्यादा का समय था।
लेकिन........पापा को कौन समझाए! जाकर बैठ गए दोनों बस स्टेशन के सामने वाली चाय की हॉटल पर।
जून की लू वाली भयंकर गर्मी, ऊपर से सड़क पर पैर रखने पर ऐसे लग रहा था; जैसे जूते ही पिघल गए। बिल्कुल खाली सड़क लग...
मैं पापा के साथ माँ और दीदी को लेने के लिए बस स्टेशन पहुंच गया। बस को आने में अभी आधे घंटे से भी ज्यादा का समय था।
लेकिन........पापा को कौन समझाए! जाकर बैठ गए दोनों बस स्टेशन के सामने वाली चाय की हॉटल पर।
जून की लू वाली भयंकर गर्मी, ऊपर से सड़क पर पैर रखने पर ऐसे लग रहा था; जैसे जूते ही पिघल गए। बिल्कुल खाली सड़क लग...