Collection -1
यूंही दोस्ती किए जा रहा है...
निभा आख़िर किससे रहा है!
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किसी से कहां कभी कुछ मांगा है,
मैं ने तो हर बार ईश्वर से ही मांगा है।
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मांगते मांगते अब लब भी थक गए,
मांगते मांगते मेरी गैरत भी जग गई।...
निभा आख़िर किससे रहा है!
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किसी से कहां कभी कुछ मांगा है,
मैं ने तो हर बार ईश्वर से ही मांगा है।
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मांगते मांगते अब लब भी थक गए,
मांगते मांगते मेरी गैरत भी जग गई।...