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" इश्क हमारा अमर रहे "
अब तो दो दिलो में चाहत इस कदर रहे.
एक दूजे के बाहों में हम शामों सहर रहे.

खुद ब खुद, झुक जाए, दुश्मनों के सर,
खुदा करे !! हमारे इश्क में वो असर रहे.

दो दिलो की, अब एक ही तो, है चाहत,
खामखा क्यों हमे अब जहां का डर रहे.

हा, प्यार करते है हम, गुनाह नही करते,
दुनिया के आगे क्यों झुका हुआ सर रहे.

हर दफा दुवाओ में, यही मांगा है हमने,
आए नही कज़ा, इश्क हमारा अमर रहे.
💞💞💞____________💞💞💞

तुम्हे अब, अपनी बांहों मे,
भरने को जी चाहता है,
इजाज़त हो तो ये गुस्ताखी,
करने को जी चाहता है.

थाम कर, तेरा हाथ, अपने हाथो मे,
डालकर अपनी आंखें तेरी आंखों मे,
अहसास बनके तेरी रुह मे,
उतरने को जी चाहता है.

तुम रहो करीब, हम तुम मे खो जाये,
ए काश !! कभी ऐसा भी हो जाये.
तेरी चाहत मे अब हद से,
गुज़रने को जी चाहता है.

आ, छू कर देखे तुम्हे, की क्या हो तुम,
ज़मीं हो या मेरी रूह के आसमां हो तुम.
तुम्हारी हर एक अदा पे ही,
मरने को जी चाहता है.

लेकर तुम्हारे बांहों का सहारा,
हम पाना चाहते है अब किनारा.
तुम साथ दो तो डूबकर,
उभरने को जी चाहता है.
💞💞💞_______💞💞💞

तुम थे मेरे रू ब रू मगर हमे,
हाल ए दिल बताना नही आया,
दिल में मोहब्बत है बेशुमार मगर,
हमे जताना नही आया.

तुम अपने हो फिर भी खुदा ही जाने,
क्यू झिझक होती है इतनी,
चूम कर तुम्हे अपने गले से हाय,
मुझे लगाना नही आया.

कोशिश तो की है मैने भी हर दफा,
यकीन कर मेरा, सच यही है,
उफ्फ ! दिल में कितनी है चाहत,
दिल चीर के तुम्हे दिखाना नही आया.

हद से अपनी गर गुजर जाए तो,
जाने क्या सोचोगे, समझोगे तुम,
यही सोच सोच कर दिल की बात,
होठों पे हमे लाना नही आया.
💞💞💞________💞💞💞

अपनी बांहों से न तुम मुझे जुदा करो,
ज़मानत पर भी न मुझ को रिहा करो.

हम तुम्हारे अपने है कोई गैर तो नही,
अपने पास आने से मुझे न मना करो.

तुम्हारे सिवा, मेरा कोई नही, जहां में,
तुम ही सबकुछ हो ज़रा समझा करो.

आख़िर किसका जिक्र छेड़े है तहरीर,
किसी रोज़ हर्फ दिल से भी पढ़ा करो.

आओ पास जरा मेरे पहलू में तो रहो,
दूर रह कर, चाहत को न रुसवा करो.

जीते जी, सनम से न हो, अब जुदाई,
यारों मेरे हक़ में बस इतनी दुआ करो.
💞💞💞________💞💞💞

मैं जमीं और मेरा आकाश है वो,
मैं जुगनू और मेरा, प्रकाश है वो.

आए समझ में तो, समझ लो,
मेरी रूह में रवां, अहसास है वो.

कैसे अल्फाजों में, जाहिर करे,
खामोश लबों की, मिठास है वो.

जीते जी, अब बुझने से रही,
मेरे अधरों की ऐसी प्यास है वो.

देखे जहां तो दो नज़र न आए,
मेरे दिल के तो इतने पास है वो.

उसी से जिंदगी की है उम्मीदें,
अब, मेरे जीने की, आस है वो.
💞💞💞_____💞💞💞

बेहद खूबसूरत आप बेहद ही प्यारे है,
आप हो चांद बाकी तो बुझे सितारे है.

दुनिया के सामने क्यों न इतराए हम,
फख्र है हमे, की आप सिर्फ, हमारे है.

आप हो हाय !! खिलता हुआ गुलाब,
मेरे मन के बाग में आपसे ही बहारें है.

आपसे बिछड़कर बिखर जाएगे हम,
मुझ बदनसीब के, आप ही, सहारे है.

आप में नूर है उफ्फ आफताब - सा,
आप ही से, तो रोशन, सारे नज़ारे है.

क्यों हो हमे, अब तुफानों का, डर,
हम टूटी कश्ती के आप ही किनारे है.
💞💞💞_______💞💞💞

मेरे दिल का, करार हो तुम,
ये सच है मेरा प्यार हो तुम.

तुम्ही से जीवन में खुशियां,
मेरी जिंदगी की बहार हो तुम.

तुम्ही से लगी है उम्मीदें सारी,
मेरे आंखों का इंतजार हो तुम.

तुम्हे पा कर ही मिले किनारे,
बहती नदी की, धार हो तुम.

सुकून मिले, लग कर गले,
मेरी बांहों का, हार हो तुम.

तुम ही तुम हो अब हर सू,
अब मेरा पूरा संसार हो तुम.
💞💞💞____💞💞💞

ये खबर छप चुकी है आज के अखबार में,
दो शायर मुब्तला है, एक दूसरे के प्यार में.

आंखों से नींद गई, दिल का गया करार,
करवटें बदल रहे, उफ़, इश्क ए आजार में.

बातों बातों में ही दोनो दिल अपना हारे,
जीत का, लुत्फ आ रहा, अब इसी हार में.

आंखें तरसती रहती है दीदार नहीं होते,
मीठा मीठा सा दर्द है उफ इस इंतजार में.

खुश्बू से, महकने लगी है सारी फिजाएं,
मोहब्बत के फूल खिले, अब की बहार में.

दिल दे बैठे हाय अपने होश भी खो बैठे,
आग - सी खबर फैली ये, सारे संसार में.
💞💞💞___________💞💞💞

मेरी तन्हा जिंदगी में आने का, शुक्रिया.
मुझे अपनी जिंदगी बनाने का, शुक्रिया.

अपने हिस्से की सारी खुशी मुझे देकर,
मेरे तमाम दर्दों गम चुराने का, शुक्रिया.

कुछ भी न चाहा तुमने चाहत के सिवा,
मुझ पर, दिलों जां लुटाने का, शुक्रिया.

मैं था, रहगुजर में पड़ी हुई, धूल मिट्टी,
मुझे, अपने माथे, लगाने का, शुक्रिया.

आके इस जीवन में, तुम बहार बनके,
इत्र-सा, जीवन महकाने का, शुक्रिया.

नाचीज़ को, अपने सीने से लगा कर,
जी करम अता फरमाने का, शुक्रिया.
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© एहसास ए मानसी