मर्यादा
सुबह सुबह चाय की चुस्की लेते हुए मास्टर मोहित मंडल अखबार पढ़ रहे थे।अखबार के साहित्य समाचार पृष्ठ पर एक कहानी छपी थी,वे उसे पढ़ने लगे। एक दिन हरीश अपनी बाइक से शहर गया।उसके गांव से शहर ५४ किमी दूर था।यह बात उन दिनों की जब सर्दी के मौसम में दिन पर्याप्त गरम और रात अत्यधिक ठंडी होती है।हरीश दोपहर में शहर रवाना हो गया। शहर में काम निपटाते निपटाते दिन अस्त होगया। उसे अब वापस अपने घर आना था, अतः तुरंत बिना देरी किए बाइक से रवाना हो गया। चूंकि वह घर से दोपहर में निकला था तब गरमी का अहसास हो रहा था,इसलिए वह अपनी जैकेट पहन कर नही निकला। हालांकि उसके वृद्ध पिता ने जैकेट साथ ले जाने का कहा लेकिन फैशन के चक्कर में जैकेट को भार समझ कर साथ नही लाया। लेकिन वापस लौटते रात हो गई,ठंडी हवा के झोंके बाइक की गति की गति से टकराने लगे। हरीश को सर्दी लगने लगी। बाइक पर चलना,बिना जैकेट के बहुत कठिन होता जा रहा था। बाइक चलाते चलाते वह सर्दी से बचने के उपाय सोचता रहा। उसके दिमाग में विचार आया कि सर्दी सामने से आती है,यदि शर्ट को उल्टा पहन लिया जाए तो आगे छाती पर ठंडी हवा कम असर करेगा,और वह आराम से घर पहुंच जाएगा। सड़क किनारे एक चाय के ढाबे पर वह रुका, गर्मागर्म एक चाय पी और अपना शर्ट खोल कर उल्टा पहन लिया। और चाय वाले से कहा कि वह उसके शर्ट के बटन लगा दे। चायवाले ने शर्ट जो उल्टा पहने जाने से बटन वाला भाग पीठ की तरफ था, के बटन लगा दिए। अब हरीश अपनी बुद्धिमता पर गर्व करते हुए बाइक चला रहा था। शर्ट के पीठ वाला भाग पेट की तरफ होने से सर्दी भी कम लग रही थी। सड़क पर चलते हुए उसे सामने से किसी गाड़ी की दो हेड लाइट दिखाई दी। हरीश ने सोचा कि सामने से दो बाइक आ रही है।उसने उन दो बाइक्स के हेड लाइट के बीच में से अपनी बाइक निकालने का निश्चय किया। हरीश दो हेड लाइट...