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कुछ अनुभव...
ये कहानी है उस topic पर जो हम सभी ने कभी न कभी तो face किया ही होगा
दरअसल हमारे गांव में एक बात कहीं जाती है कि वर्तमान युग ऐसा हो गया है कि किसी से बातें करने का कोई मतलब नहीं रह गया है और यह बात हमारे गांव क्या वर्तमान युग में हर स्थिति पर भी यह लागू होती है क्योंकि हम पूरी कोशिश करते हैं कि हम वह बता सके जो हमारे मन में है पर समझने वाला तो उसे वैसे ही समझेगा जैसा उसको समझाना होता है..
यह बात हम सभी पर लागू होती है क्योंकि हम भी तो किसी बात को इस तरीके से समझेंगे जिस तरीके से हम समझाना चाह रहे हैं ..इसके साथ-साथ एक और बात जो आपने सुनी होगी कि जब भी हमें अपनी बात रखने से पहले यह लगता है कि हमारी बात सामने वाले को hurt कर सकती है तो अक्सर हम यह कहते हैं ' बुरा नहीं मानिए प्लीज ' पर important यह होता है कि इस लाइन के बाद आपने बात कही, वह क्या थी.. क्योंकि कुछ बातें ऐसी भी होती है कि जिसका कोई वास्ता सामने वाले इंसान से नहीं होता है फिर भी हम वह बात उनके लिए कह रहे होते हैं ..अगर दुनिया में कहीं भी यह की -कितना बुरा लगा ,यह बताने के लिए कोई एक शब्द बना होता ना तो सामने वाला उसे बात को सुनकर अनगिनत बार उस शब्द का प्रयोग कर देता, इतना hurt वह हो चुका होता है क्योंकि कोई क्यों ही चाहेगा कि जिस बात का उसे कभी वास्ता ही नहीं रहा जिसने कभी किसी दूसरे के बारे में ऐसा सोचा ही नहीं ,उसका ऐसा कोई इरादा ही नहीं था वह बात आज उसके लिए प्रयोग की गई
. और सभी का इस स्थिति में अपना-अपना एक अलग रिएक्शन होता है कुछ लोग ऐसे होते हैं कि जिन्हें इन सब बातों का कोई फर्क नहीं पड़ता कि उनके लिए किसी ने क्या बोल दिया और वह पूर्णता इसको ignore कर देते हैं.. काश!मैं भी ऐसी होती मुझे लगता है कि यही वाले इंसान सबसे बेस्ट होते हैं कि उनके बारे में जो भी किसी ने बुरा कहा है वह यह सोचकर कि -जाने दो ऐसे ही बोल दिया उसे जाने भी देते हैं..
पर कुछ इंसान ऐसे होते हैं कि जो 'हम सही हैं' यह बात साबित करने के लिए उन्हें argument करना होता है and ofcourse यह भी गलत नहीं है क्योंकि life में इतनी आसानी से कोई चीज नहीं मिलती है कोई भी आपकी बात भी नहीं सुनता है तो उसके लिए आपको थोड़ा संघर्ष तो करना होता है ...
पर इन सभी के अलावा एक व्यक्तित्व ऐसा भी होता है कि किसी ने उनके बारे में गलत कहा, उन्होंने सुना फिर भी उन्होंने सामान्य व्यवहार किया तो इसका अर्थ कदापि यह नहीं था कि उन्हें बुरा नहीं लगा क्योंकि सबसे ज्यादा hurt होने वाले भी यही इंसान होते हैं.. और ना ही इसका तात्पर्य यह था कि उन्होंने स्वीकार कर लिया या कि- हां मैं गलत हूं ।ऐसा कुछ भी नहीं था इतना सुनने के बाद भी अपनी बात उन्होंने सामान्य रूप से कहीं ।सामने वाले ने उस बात को सुनकर क्या समझा यह तो हम नहीं कह सकते पर भी फिर भी वह सामान्य बने रहे ..एसा इसलिए कि जिंदगी में पहले से ही काफी उतार चढाव होते हैं तो वह नहीं चाहते कि यह एक और बुरी याद बनकर उनके जीवन के अंतिम पल तक उसके साथ रहे ..कि जब कभी उन्हें यह याद आए कि उनकी लाइफ में सबसे ज्यादा बुरा क्या हुआ था तो यह बात उनके मन में हो ..बस यही सोचकर वह कुछ नहीं कहते और सामने वाला यह मान लेता है कि वह इंसान गलत होगा ... लेकिन हम कभी यह नहीं सोचते कि जो हम उनसे कह चुके हैं उसको सुनकर सामने वाला कितना दुखी हुआ होगा।
खैर सभी का अपना-अपना नजरिया होता है जिसे हम बदल नहीं सकते पर हम सभी को यह कोशिश तो करनी चाहिए ना कि हम किसी के बारे में अपनी राय बनाने से पहले यह जान ले की सामने वाले का व्यक्तित्व कैसा है ...

मुझे पता है कि आप में से बहुत से लोग ऐसे होंगे जो मेरी इन बातों से सहमत नहीं होगें लेकिन मैं आप सभी के विचार की respect करती हूं ..उम्मीद है कि आप मेरी बातों को समझ पाएंगे।
Thank you यहां तक बने रहने के लिए..
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