घूँघट की आड़ (लघुकथा )
बच्चों को स्कूल छोड़ने आई दीपिका आज जब घर लौट रही थी तो उसके मन में विचारों के बवंडर उठ रहे थे। आज घर से निकलते समय घूँघट न लेने के कारण उसकी सास ने उसे टोक दिया था। खूब खरी-खोटी सुनाई थी। दीपिका को उलाहना देते हुए कहने लगी, " तुम एक ऐसे परिवार से आई हो जहाँ तुम्हारे माता-पिता ने तुम्हें अच्छे संस्कार नहीं दिए। बिना घूँघट लिए घर से निकल पड़ती हो। तुम्हें लोक-लाज का ख़्याल नहीं है। तुम्हारे माँ-बाप ने तुमको यही सिखाया है। " दीपिका ख़ामोशी से सबकुछ सुनती रही थी। उसके लिए ये कोई नई बात नहीं थी। शादी होकर जबसे वो अपने ससुराल आई थी, इस तरह के कटाक्ष उसे रोज़ ही सहन करने...