बालविवाह ( हास्य लघु कथा )
गर्मियों के दिनों में रात के समय खुले आसमान के निचे बैठ कर बातें करने का आनंद कुछ ओर ही होता है ।कल रात को हम सभी ( दादी , मम्मी -पापा ,छोटे -बड़े चाचा - चाची , दादी भुआ और सभी भाई - बहन आदी ) बैठ कर बातें रहे थे । बातें करते -करते अचानक हम लगभग 70 -75 साल पीछे चले गये । शादी का माहौल था , चारों तरफ खुशियों की लहर छा रही थी मंगल गीत गाए जा रहें थे , बेंड बाजा नहीं बज रहे थे क्योंकि उस समय हुआ ही नहीं करते थे ।
तभी अचानक हाहाकार मच गया ...
तभी अचानक हाहाकार मच गया ...