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पुरस्कार

आज टीईटी का परिणाम घोषित हुआ है, शैलेंद्र भी पास हुए है। घर में खुशी का माहौल है। वो क्या है पांडेयपुर मोहल्ले में जनरल कास्ट का लडका एक ही बार में वो भी बिना किसी घूंस के पास हुआ है, कोई कम बात थोरे ना है जी! शैलेंद्र खुश है की अब वो अपने तरीके से बच्चों को इतिहास की सैर करवाएंगे।
समय बीतता गया। शैलेन्द्र का खुशी का ठिकाना नहीं रहा जब पता चला कि उसे शासकीय विद्यालय में नौकरी मिली। वह खुशी खुशी शाला गया। बच्चों के बीच उसे बहुत अच्छा लगने लगा। एक दिन हेडमास्टर साहब किसी कारणवश शाला नहीं आए। शैलेन्द्र अकेले ही विद्यालय का कार्य संभाल रहे थे। अचानक निरीक्षण कर्ता शाला आए। बच्चों से सवाल करने लगे। स्तर से गुणवत्ता में सुधार देख बहुत खुश हुए एवं शैलेन्द्र का भूरी भूरी प्रशंसा करने लगे। शैलेन्द्र का मेहनत सफल हुई।वह सोचने लगा कहीं न कहीं अच्छे कार्य का मूल्यांकन जरुर होता है। बच्चों की सफलता ही शिक्षक का असली पुरस्कार है।