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नामुमकिन कुछ भी नहीं है
वो कहते हैं ना स्कूल का आखिरी दिन और कॉलेज का पहला दिन कभी भूला नहीं जा सकता मेरा किस्सा कुछ ज्यादा रोचक तो है नहीं लेकिन हां फिर भी पढ़ा जा सकता है कॉलेज के पहले दिन ही मुझे माइक संभालने का मौका मिला जो कि मेरे लिए बहुत कठिन था 1000 बच्चों के सामने स्पीच जो देनी थी मुझे खुद विश्वास नहीं हुआ कि इतने अच्छे से कैसे स्पीच दे दी मैंने तब से समझ में आया डर को छुपाकर नहीं रखना चाहिए अगर जो काम करने की ठान ली हो तो काम पूरा ही करो

कठिन तो है लेकिन नामुमकिन नहीं है