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प्रतिशोध
अरे श्याम बाबू धीरज रखो सब ठीक हो जाएगा।इस तरह आग बबूला होने से काम बनेगा नहीं बल्कि और बिगड़ जाएगा । और फिर आज तक प्रतिशोध ने किसका भला किया है..??प्रतिशोध की आग में जलने से कोई फायदा नहीं ..?ये आग तो दूसरों को नुक्सान पहुंचाने से पहले स्वयं का ही नुकसान करता है।मुनीम जी ने कहा तो श्याम का गुस्सा ज़रा शांत हुआ। दरअसल श्याम गांव के जमींदार का बेटा है। श्याम के माता-पिता बचपन में ही उसे छोड़ कर चले गए।तब से वो अपने नाना नानी के साथ ही रहने लगा था। आज जब बालिक होकर अपने गांव अपना अधिकार लेने वापस आया तब उसके चाचा ने उसके साथ बहुत बुरा सुलुक किया। यहां तक कि उसे अपने ही घर में आने से रोक दिया। जिस वजह से उसके अंदर प्रतिशोध की आग भड़क उठी।
और उसने अपने चाचा से बदला लेने की ठान लिया था।
किरण