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पटरी वाला पागल
कहानी

पटरी वाला पागल

चमचमाती कार से एक युवती उतरती है। दवा की दुकान से दवा खरीदती है।
तभी कुछ हंगामा सा होता है। आवाज सुनकर उस तरफ देखने लगी।

दवा विक्रेता से कारण पूछा कि हंगामा क्यों हो रहा है।

दुकानदार बोलता है, पागल है।
थोड़े से रुमाल लाता है, उनको बेचता है।
दुकान से पास कई बार भगाया जाता ही नहीं है।

दुकानदार उस पागल को फिर फटकारता है।
यह पागल बुड्ढा 20 साल से यहीं बैठा रहता है।

लड़की उसे देखती है_पागल तो नहीं लगता यह?

लंबे कद का, इकहारा बदन, दुबला पतला, उलझे से लंबे बाल।

मुरझाया सुखा चेहरा।
चेहरे में कोई आकर्षण नहीं।

लड़की उस बूढ़े को देखती है। अपने पापा को याद करते हुए सोचने लगती है। मेरे पापा के उम्र के होंगे।

लड़की जोर से सिर हिलाती है। मेरे पापा तो बहुत सुंदर थे। अपने पापा को याद करके रुआंसी सी हो जाती है।

इस इलाके में नई नई आई है रहने के लिए। 26 वर्षीय यह युवती अपने पति की दवा लेने आई थी। कल रात से पति को बुखार था।

पता नहीं कुछ उलझन सी में उलझी हुई कुछ सोचती हुई कार स्टार्ट कर के चली गई।

वह लड़की 2 दिन बाद फिर उसी दुकान पर दवा लेने आती है।

उस बूढ़े पर फिर उसकी नजर पड़ती है। एक लड़का उस बूढ़े का एक रूमाल लेकर भाग गया, फिर बुड्ढा बड़बड़ाने लगता है।

इस बार वह लड़की बूढ़े के पास आकर पूछती है। आप कितना कमाते हो बाबा।
आपका एक रुमाल आज फिर एक बच्चा लेकर भाग गया।

आपने उस बच्चे को पकड़ा क्यों नहीं? लड़की ने पूछा।

मुझे अब कम ही दिखाई देता है। बुड्ढे ने जवाब दिया।

बूढ़ा, थोड़ा रूखा होकर बोला, आपको क्या लेना है आप बताओ?

लेकिन उस लड़की को उसके बात करने लहजा फिर भी पसंद आया। आप गुस्से में क्यों बोल रहे हो बाबा?

मैं, ऐसा ही हूं।
अब बदल जाऊं क्या?
बिफरते हुए बुड्ढा बोला।

नहीं बाबा, मैने बदलने के लिए नहीं कहा। आप पटरी पर बैठे हो थोड़ा सा माल है। ज्यादा कमाई तो वैसे भी नहीं होती होगी। थोड़ा प्यार से बोलो तो ग्राहक ज्यादा आयेंगे।

मैं नहीं बोल सकता, अब आप जाओ।
कुछ खरीदना है नहीं। फिर अपना टाइम क्यों खराब कर रही हो? बुड्ढे का गुस्सा कम नहीं हुआ।

पता नहीं उस लड़की को क्या हुआ?
वह बोली, लाओ खरीदती हूं बताओ कितने की हैं?

बूढ़े ने बताया 20 रुपए की एक है।
कौनसे रंग की लेनी है छांट लो?

नहीं बाबा मुझे सारी लेनी है। कुल कितनी हैं?

बूढ़ा बोला 50 थी पूरी, एक लेकर भाग गया। अब फोर्टी नाइन ही बची हैं।

ओके, ये लो 1000 रुपए।
एक उस बच्चे के भी लो, पूरे पचास रूमाल के।

अंग्रेजी में बोले फोर्टी नाइन, बहुत साफ बोले, जैसे वह बूढ़ा काफी पढ़ा हुआ हो।

लेकिन....बूढ़ा कुछ बोलता उससे पहले लड़की बोली, आप जाओगे नहीं।
जितनी देर यहां बैठते हो उतनी देर आप मुझसे बात करोगे।
कितनी देर यहां बैठते हो आप?

बूढ़ा बोला 2 घंटे सुबह, 2 घंटे शाम को।

ठीक है आप 1 घंटा आप मुझसे बात करोगे।

अब बाबा को कुछ अच्छा सा लगने लगा।
आप को पागल कहते हैं सब लोग, लेकिन आप हो नहीं।
लड़की ने पूछा।

मैं क्या कर सकता हूं? आप बोलो।
बूढ़े ने अपनी निराशा जताई।

क्या बात करनी है? थोड़ा आगे चल कर बात करता हूं वर्ना लोग आपको भी पागल समझेंगे।
बूढ़ा हल्की सी मुस्कान चेहरे पर लाते हुए थोड़ा संयत होकर बोला।

ठीक है, चाय पियोगे?
दो चाय बनाओ, भैय्या।
लड़की ने बूढ़े के उत्तर की प्रतिक्षा किए बिना चाय का ऑर्डर दे दिया।

आप 2, 2 घंटे सुबह शाम बैठ कर, रुमाल बेच कर कितना कमा लेते हो?
100 सुबह, 100 शाम को।
छोटा उत्तर दिया, बूढ़े ने।
इतने से घर का खर्चा चल जाता है?
लड़की ने जिज्ञासा वस पूछा।

नहीं, अपने खर्चे के लिए कोठियों में 4, 4 हजार की दो ट्यूशन पढ़ाता हूं। बूढ़े ने बताया।
तभी मैं समझ गई थी कि आपका यह मूल काम तो नहीं है।
फिर भी इन रुपयों में घर का खर्चा कैसे चलता होगा? घर में होने वाले औसत खर्चे को देखते हुए लड़की ने पूछा।

चल जाता है।
झुग्गी में रहता हूं।
अपना कोई खर्चा नहीं है। बूढ़े ने जोर से सांस लेते हुए कहा।

बच्चों का तो होगा। लड़की ने पलट कर सवाल पूछा।

बच्चे नहीं है।
अकेला रहता हूं।
दो लड़की लावारिश है उनको पलता हूं बस।
बूढ़ा शांत चित्त होकर बताने लगा।

अपने बच्चे नहीं है, क्या?
लड़की कुछ पूछ लेना चाहती थी, जैसे उसका बैक ग्राउंड, आदि।

नहीं.... बुढा फिर चुप हो जाता है।

आप कुछ छुपा रहे हो।
लड़की ने अब सीधा सवाल किया।

जाओ, आप।
मुझे भी अब बच्चों को खाना भी बनाना है।
बूढ़े ने सवाल टालते हुए कहा।

लड़की बोली।
आपकी कुछ मदद कर सकती हूं क्या बाबा?
कैसी मदद?

बाबा की समझ आ गया था कि वह उसका अतीत जान लेना चाहती है। वह अतीत जिसको वर्षों पहले वह छोड़ आया था। जिंदगी में भारी निराशा झेली थी उसने।
अब कोई भी निराशा में वह नही घिरना चाहता था।

लड़की का मदद करने आशय जान कर बाबा का मुंह तन गया।

क्यों करना चाहती हो, मदद?

आपकी बेटी जैसी हूं। लड़की हिम्मत से जवाब देती है।

बेटी बनने की कोशिश मत करो।
अब और हिम्मत नहीं बची है।

किसी पराए को अपना बनाने की।

दो लड़की भी तो पाल रहे हो।
हां, लेकिन वे अनाथ पड़ी मिली कोई नाले के पास कोई छोड़ गया था।
घिरता देख बूढ़ा वहां से निकलने के लिए
वह उठ खड़ा हुआ।

लेकिन
उठ कर उसने लड़की के सिर पर हाथ रखा और तेजी से चला गया।

उसके हाथ की गर्मी उस लड़की को कुछ अच्छी सी लगी। जैसे उसके पिता आशीर्वाद दे रहे हों।

वह सोचने लगती है।

पता नहीं जैसे, इन हाथों में कुछ तो है।
उसे लगा जैसे उसने अपने मन में बेटी की तरह आशीर्वाद दिया हो।
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