...

3 views

किताब
: - तुमने पूरी पुस्तक पढ़ ली?
:- हाँ बहुत अच्छी किताब थी..
:- अच्छा
:- हां पता है जब मै पढ़ रहा था मुझे हर वाकये पर तुम्हारा चेहरा झलक जाता..खास करके जहाँ नायिका बादलों से कहती है, "ओ बादल तुम्हे ये आसमां कितना प्यारा लगता है, ये दिन और ये रात, जैसे जिंदगी के ऊँच और नीच और क्या था वो
:- जैसे बादलों में एक छोटा सा घर जैसे आसमां का छत , हो एक घर भी ..
और दोनो चुप हो जाते है , और लड़की की आंखें शर्म से झुक जाती है .. और लड़का उसके चेहरे की तरफ ऐसे देखता जैसे कुछ पढ़ता हुआ ( शायद कुछ ढूंढ रहा था ,कुछ अनकहा ,जो पढ़ सके )
उन दोनो के आपसी प्रेम मे किताबी प्रेम घूल कर पहाड़ों मे गुंजने लगा...प्रेम अक्सर सपने दिखाता है ..और एक अलग दुनिया में ले जाता है ..और तभी पेड़ों ने हवाओं को उनके चेहरे पर धकेल दिया.. दोनो सपने से बाहर थे ..

( कुछ तो था शायद उस वक्त जो अनकहा रह गया )
#अरु