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शर्त बड़ी हवेली के बगीचे से आम लाना
क्रमशः भाग दो---
चंदन आनंद से शर्त जीत चुका था, लेकिन वह
आज दिल हार गया था। उसे कोई खुशी नहीं हो रही थी, सामने आनंद बैठा था उसका सबसे प्रिय मित्र। चंदन बोला आज मुझे शर्त जीतने की खुशी नहीं बल्कि दु:ख है मैं सोच रहा यह शर्त मैं तुझसे हार गया होता तो आज मैं दुखी न होता। मैं तेरी शर्त के कारण बहुत बड़े चक्रव्यूह में फंस गया हूँ । फिर उसने सारी कहानी उसे सुनाई किस तरीके से अखबार में
विज्ञापन देख तबला वादक नृत्य टीचर बन वह
ठाकुर रंजीत सिंह जी की बेटी से मिला और
कल उसे नृत्य सिखाने का वादा कर दादी माँ
के लिए आम लेकर आया था।
वह आनंद से कह रहा था कि ठाकुर साहब की इकलौती बेटी कुमकुम बिलकुल कुमकुम फूल की तरह बहुत ही खूबसूरत है। मैंने पता नहीं कितनी लड़कियां देखीं लेकिन ऐसी लड़की आज तक नहीं देखी उसकी आवाज संगीत से भी मधुर है, वह बोलती तो फूल झरते हैं, उसकी आंखें मृगनयनी जैसी सुंदर हैं, उसका गर्दन सुराही की भांति लम्बी उसके केश कमर तक ऐसे लटक रहे थे जैसे काली नागिन लटक रही हो । मैंने जब से उसे देखा भूल नहीं पा रहा हूँ। कल ग्यारह बजे हमें उसे नृत्य सिखाने जाना है।
हम न तो नृत्य कला व तबला बजाना जानते नहीं। आनंद भी चंदन की बात सुनकर चुप था क्योंकि ठाकुर रंजीत सिंह को कौन नहीं जानता उनके साथ सैकड़ों गुंडे बदमाश रहते हैं । जो उनकी एक आवाज पर मरने मारने पर उतारू हो जाते हैं।
चंदन का असली नाम चंदन सिंह था वह भी क्षत्रिय था साढ़े छह फीट लम्बा गोरा चिट्टा जवान था उसकी उम्र तेईस बर्ष की थी पिता का नाम सूरज सिंह मिलेट्री से मेजर पद से रिटायर होने के पश्चात घर पर ही रहते थे चंदन का बड़ा भाई मिलेट्री में कर्नल था उसकी शादी हो चुकी थी। इस शहर में पिता के रिटायर होने के बाद से यहीं रहता था ।आनंद बोला तुम बहुत ही मुश्किल में फंस गए हो यदि कल नहीं गए तो अनर्थ हो जायेगा। ठाकुर के आदमी तुझे ढूँढने लगेंगे । चंदन ने कहा एक युक्ति मेरी समझ में आ रही है हम किसी से आज से ही नृत्य सीखना व तबला बजाना सीखना प्रारंभ कर दें जितना प्रतिदिन सीखेंगे उतना ही उसे सिखा देंगे। आनंद ने कहा यह सही है। तुरंत वह दोनों एक तबला बादक के घर गए उसने कहा कल से आ जाओ हम सिखा देंगे उसने कहा हम आज से ही सीखना चाहते तबला वादक ने कहा शाम सात बजे आ जाओ, फिर वह नृत्य सिखाने वाले के पास गए वह कथक नृत्य सिखाता था उसने कहा कल सुबह सात बजे से आ जाइए। यह तय करने के बाद दोनों प्रसन्न थे चंदन ने कहा हम घर जा रहे घर कुछ समझा कर रोज वहाँ जायेंगे आज शाम तबला वादक के यहाँ जाना है ।
चंदन साइकिल से ठाकुर रंजीत सिंह की हवेली पर ग्यारह बजने से पहले ही पहुँच गया
कुमकुम आज सजी संवत् अपने मास्टर के इंतज़ार में बैठी थी। ठाकुर रंजीत सिंह के यहाँ संगीत का एक बड़ा कक्ष था। कुमकुम वहीं चंदन का इंतज़ार कर रही थी चंदन पहुँच गया
उसने देखा तबला हारमोनियम ढोलक मजीरा घुंघरू सभी कुछ उस कक्ष में विद्यमान था। वह तबला सीख कर आया था हारमोनियम उसके पिता बजाते थे हारमोनियम बजाना वह पहले से जानता था। उसने कहा हम पहले हारमोनियम तुम्हें बजा के सुनाते हैं । नृत्य सीखने के लिए हारमोनियम को समझना जरुरी है वह हारमोनियम बजाने लगा उसने मेरा मन डोले मेरा तन डोले-----
धुन निकाली कुमकुम उस धुन को सुन मंत्र मुग्ध हो गई वह एकटक चंदन को ही देखे जा रही थी उसे भी चंदन से प्रेम हो गया था। तबला ले आया थोड़ा टनकाया तब तक धीरे धीरे दो घंटे व्यतीत हो गये चंदन ने कहा समय हो गया कल आयेंगे तब आगे सिखायेंगे इस तरीके से रोज सीखना फिर जाकर उसे सिखाना । लगभग तीन माह गुज़र गए वह दोनों हम उम्र थे ।आपस में एक दूसरे के बारे में जान चुके थे।
एक दिन कुमकुम बोली हम कल आपकी माँ
से मिलना चाहते हैं। उसने बहुत आनाकानी की लेकिन वह नहीं मानी कुमकुम बोली कल ग्यारह बजे सुबह हम आपके घर आयेंगे वह अपने घर दूसरे दिन उसका इंतज़ार कर रहा था। वह गयी चंदन की माँ ने उससे पूछ लिया बेटी तू इसे कैसी जानती यह क्या तेरे साथ पढ़ता था । वह बोली ये पढ़ते नहीं ये हमारे टीचर हैं । यह हमे नृत्य सिखाते हैं और तबला। चंदन की माँ में मुंह से निकला क्या😧 और चंदन की माँ का मुंह खुला ही रह गया। माँअचम्भित थी चंदन कालेज की पढ़ाई पूरी कर मिलेट्री में जाने के लिए सुबह दौड़ भाग तथा घर पर पढ़ाई करता था । कुमकुम चंदन के घर से जा चुकी थी । चंदन की माँ ने चंदन से पूछा कुमकुम जो कह रही क्या सत्य है । तो उसने बड़ी हवेली के बगीचे के आम वाली आनंद से लगी शर्त बताई और कैसे उसने शर्त जीती और फिर नृत्य सीख कर सिखाना तबला सीख कर सिखाना सब कुछ
माँ को समझा दिया माँ बहुत गंभीरता से विचार कर रहीं थीं। ठाकुर रंजीत सिंह बड़ी हवेली की इकलौती बेटी कुमकुम चंदन के साथ कहीं इश्क़ तो नहीं कर बैठी चंदन की माँ का हृदय किसी अनहोनी घटना से सशंकित होने लगा--
क्रमशः भाग तीन पर ------